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भोजशाला में सर्वे का सातवां दिन, मुस्लिम पक्षकार ने फिर उठाए सवाल, भोजशाला को बताया मिस्ट्री

सार

विस्तार

मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला में ASI का सर्वे जारी है। गुरुवार को सर्वे का सातवां दिन है। सर्वे टीम 7 बजकर 50 मिनट पर भोजशाला पंहुची। आज कुछ नए संसाधन भी टीम के साथ नजर आए। इधर मुस्लिम पक्षकार ने फिर सवाल उठाते हुए भोजशाला को मिस्ट्री बताया है।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भोजशाला में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया का सर्वे लगातार जारी है। सर्वे के सातवें दिन गुरुवार सुबह ASI की टीम भोजशाला पहुंची। आज टीम के साथ कुछ नए संसाधन भी अंदर ले जाए गए हैं। वहीं हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा और आशीष गोयल सहित मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान भी भोजशाला में पहुंचे। भोजशाला में उत्खनन, कार्बन डेटिंग जीपीएस,  जीआरएस पद्धति सहित आधुनिक संसाधनों द्वारा सर्वे का काम लगातार जारी है।

भोजशाला पहुंचे मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने कहा कि राजा भोज का किला कहां था। किला था तो भोजशाला कहां थी। भोज शाला मिस्ट्री थी। उसको ढूंढने की कोशिश की जाए। हम भी चाहते हैं कि उसको ढूंढा जाए। अब्दुल समद ने कहा कि जो भी चल रहे हैं जो भी चीज चल रही है। मुस्लिम समाज के पक्ष में चल रही है। पीछे की तरफ सर्वे चल रहा है। तीन स्पॉट बनाए गए हैं, उसमें साढ़े छह फीट गहराई तक गड्ढे कर दिए गए हैं।

यह है भोजशाला विवाद
धार की भोजशाला राजा भोज ने बनवाई थी। जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार यह एक यूनिवर्सिटी थी, जिसमें वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में बदल दिया था। इसके अवशेष प्रसिद्ध मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में भी देखे जा सकते हैं। यह मस्जिद भोजशाला के कैंपस में ही स्थित है जबकि देवी प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी है।

क्या है 1902 की रिपोर्ट में
हाईकोर्ट में आर्कियोलॉजिक्ल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। वर्ष 1902 में लॉर्ड कर्जन धार, मांडू के दौरे पर आए थे। उन्होंने भोजशाला के रखरखाव के लिए 50 हजार रुपये खर्च करने की मंजूरी दी थी। तब सर्वे भी किया गया था। 1951 को धार भोजशाला को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है। तब हुए नोटिफिकेशन में भोजशाला और कमाल मौला की मस्जिद का उल्लेख है। याचिका हिंदू फॉर जस्टिस ट्रस्ट की तरफ से लगाई गई थी। इसके अलावा छह अन्य याचिकाएं भी इस मामले में पूर्व में लगी हैं। ट्रस्ट की तरफ से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने पक्ष रखते हुए बताया था कि 1902 में हुए सर्वे में भोजशाला में हिंदू चिन्ह, संस्कृत के शब्द आदि पाए गए हैं। इसकी वैज्ञानिक तरीके से जांच होना चाहिए, ताकि स्थिति स्पष्ट हो।