उज्जैन l भारत माता मंदिर स्थित सुदर्शन हाल में शनिवार सुबह विश्व संवाद केंद्र उज्जैन द्वारा “देवर्षि नारद लोक चिंतन में सूचना-संचार के प्रथम प्रणेता” विषय पर नारद जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया l जिसमें मुख्य वक्ता के रूप सिद्धार्थ शंकर गौतम, प्रचार व संपर्क प्रमुख, एक संस्थान( एकल विद्यालय अभियान) एवं डॉ. गीता नायक(भाषाविद), प्राध्यापक, हिंदी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित हुई l कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेश सिंह कुशवाह, कार्यपरिषद सदस्य, विक्रम विश्व विद्यालय उज्जैन द्वारा की गई l
सुबह 11 बजे कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा आद्य संवाददाता देवर्षि नारद जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया l इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सिद्धार्थ शंकर गौतम, प्रचार चार व संपर्क प्रमुख, एक संस्थान( एकल विद्यालय अभियान) ने “देवर्षि नारद लोक चिंतन में सूचना-संचार के प्रथम प्रणेता” विषय पर
अपने मुख्य वक्तव्य में कहा कि प्रथम आद्य पत्रकार देवर्षि नारद के जीवन से हमे कुछ शिक्षा लेनी है तो वह य़ह है कि पत्रकारों को अहंकार लेशमात्र भी नहीं करना चाहिए l उन्होंने कहा कि नारद जी ने जगत कल्याण के भाव से जिन सूचनाओं का संवाहन किया उन सूचनाओं से हर युग में विश्व शांति और सत्य का मार्ग प्रशस्त हुआ l वर्तमान पत्रकारिता में नारद जी का यह गुण सबसे अधिक प्रासंगिक है , जो पत्रकारों को अंगीकार करना चाहिए l पत्रकार का पहला कर्तव्य है सत्य को जनता तक पहुंचाना l यदि पत्रकार सत्य का मार्ग नहीं छोड़ेंगे निःसंदेह उस समाचार की सत्यता की प्रासंगिकता समाज में बनेगीl
मुख्य अतिथि डॉ. गीता नायक(भाषाविद), प्राध्यापक, हिंदी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्कंद पुराण में 22 श्लोक है जो नारद जी को प्रणाम करते है l नारद जी ब्रह्मा जी की जो गोद से उत्पन्न हुए है इनको ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रो में एक मानस पुत्र भी कहा गया है l य़ह एक ऐसे मानस पुत्र थे जिनको बिल्कुल भी अहंकार नहीं थाl अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राजेश सिंह कुशवाह, कार्यपरिषद सदस्य, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने कहा कि नारद जी की सूचना संप्रेषण का एकमात्र उद्देश्य लोक कल्याण ही रहता है l इसलिए आज भी नारद जी प्रासंगिक है l कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र नागर ने किया और आभार ओजस व्यास ने माना l