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प्रखर राष्ट्रवादी, महान शिक्षाविद् तथा भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. मुखर्जी जी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं -मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए एक लेख लिखा है. सीएम मोहन यादव ने अपने लेख में कहा, ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भारतीय राजनीति और समाज में उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण और समय से आगे की सोच के लिए जाना जाता है. प्रखर राष्ट्रवादी, महान शिक्षाविद् तथा भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी की पुण्यतिथि पर उनके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।

मुख्यमंत्री  डॉ. यादव ने कहा कि डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल के विभाजन के समय हिंदू बहुल क्षेत्रों को भारत में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हमारे देश के लिए डॉ मुखर्जी की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है. उनके विचार आज भी भारतीय जनता पार्टी और अन्य राष्ट्रवादी संगठनों में प्रतिबिंबित होते हैं.

लेख में सीएम ने आगे लिखा कि उनके जीवन और कार्यों ने दिखाया कि वे न केवल अपने समय के मुद्दों को समझते थे, बल्कि भविष्य की चुनौतियों और अवसरों का भी गहरा ज्ञान रखते थे. देश और समाज के लिए तुष्टिकरण की राजनीति कितना नुकसान पहुंचा सकती है, इसको हमारे कई दार्शनिक समाजसेवियों ने दशकों पहले समझ लिया था. एक देश और एक विधान का मंत्र देने वाले डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी ने इसके लिए मिसाल पेश की.

सीएम मोहन यादव ने कहा कि ‘हमें पता है कि आजादी मिलने के बाद बनी पहली केंद्र सरकार से डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के मतभेद देखने को मिले थे, जब तत्कालीन नेहरू सरकार ने भारत के संविधान में जबरन अनुच्छेद 370 जोड़कर देश की संप्रभुता और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया था. अखंड भारत के समर्थक डॉ. मुखर्जी ने कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति का विरोध किया. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत माता के महान सपूत थे. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में शामिल किया.’

सीएम ने कहा कि स्वतंत्र भारत की पहली सरकार ने तुष्टिकरण की नीति पर चलना शुरू किया तो डॉ. मुखर्जी ने कैबिनेट से इस्तीफा देकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की. आज केंद्र में भाजपा की लगातार तीसरी बार सरकार बनी है और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों में देश की बागडोर है. इसके पीछे डॉ मुखर्जी की ही नीति और सोच है.

आज उनका बलिदान दिवस है. हम और आप उन्हें अपने अपने तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे’ का नारा देकर राष्ट्र की अखंडता और समाज की उन्नति के लिए आजीवन कार्य करने वाला आपका व्यक्तित्व सदैव प्रत्येक देशवासी को राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का बोध कराता रहेगा।