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नवीन मुकुट और मुंडमाला से हुआ महाकाल का शृंगार, बाबा के दिव्य दर्शनों का भक्तों ने लिया लाभ

सार

विस्तार

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की षष्ठी और शुक्रवार के महासंयोग पर विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर मे सुबह 4 बजे भस्म आरती के दौरान वीरभद्र जी से आज्ञा लेकर मंदिर के पट खुलते ही पण्डे पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर पंचामृत और फलों के रस से किया। इसके बाद प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को नवीन मुकुट व मुंड माला धारण करवाई गई। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया।

अग्नि सुरक्षा व विद्दयुत सुरक्षा हेतु मंदिर कर्मचारियों व सुरक्षाकर्मियों को दी ट्रेनिंग
श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबन्ध समिति के नेतृत्व में श्री महाकालेश्वर मंदिर में फायर सेफ्टी व विद्दयुत सुरक्षा हेतु मंदिर में कार्यरत विद्युत कर्मियों, सुरक्षा गार्डों को मंदिर में अग्निसुरक्षा यंत्रों का उपयोग करने तथा किसी घटना के दौरान सावधानियां रखने के संबंध में तीन दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ। इस दौरान मंदिर के कर्मचारियों, सुरक्षागार्डों आदि ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

क्रिस्टल कम्पनी के सीनियर ट्रेनिंग ऑफिसर संजय सुरालकर व मंदिर के सुरक्षा अधिकारी एवं प्लाटून कमांडो दिलीप बामनिया द्वारा ट्रेनिंग दी गई। दुर्घटना होने पर फायर ब्रिगेड के आने से पूर्व रखने वाली सावधानियों के सम्बन्ध में बताया गया। सबसे पहले कंट्रोल रूम को सूचना देने, वायरलेस का उपयोग नहीं करने, घटना वाले स्थान से ज्वलनशील पदार्थ हटाने व भीड़ को नियंत्रित कर घटना वाले स्थान से दूर ले जाने, मंदिर के अन्य स्थानों की लाइन रुकवाने व विद्युत सुरक्षा के लिए सभी स्थानों के मेन स्विच ऑफ करने (पावर कट करने) आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।

साथ ही अग्निशमन यंत्रों के उपयोग के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। बामनिया ने बताया कि सभी सुरक्षागार्डों व कर्मचारियों को अपनी ड्यूटी के दौरान मंदिर में अग्निशामक यंत्र कहां-कहां लगे हैं उसका पता होना चाहिए, साथ ही ड्यूटी का स्थान बदलने पर भी उस स्थान पर सभी संसाधनों की उपलब्धता का ध्यान रखें।