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पहाड़ी पर विराजमान हैं रानी दुर्गावती की कुलदेवी मां भद्रकाली, हाथी पर बैठकर पूजन करने जाती थीं वीरांगना

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दमोह जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर जबेरा तहसील के सिंग्रामपुर के सिंगौरगढ़ किला के भैंसा घाट पहाड़ी पर वीरांगना रानी दुर्गावती की कुलदेवी मां भद्रकाली की मढ़िया है। जो 13वीं शताब्दी में बनी थी। जिसके अंदर एक पत्थर पर मां भद्रकाली की प्रतिमा विराजमान है। कभी यहां पांच मढ़िया हुआ करती थीं। जिसमें दो शिवलिंग के साथ हनुमानजी की प्रतिमाएं विराजमान थीं, लेकिन यह चार मढ़िया जमींदोज हो गईं और अवशेष बिखरे पड़े हैं।

वीरांगना रानी दुर्गावती की कुलदेवी मां भद्रकाली आज भी मढ़िया में विराजमान हैं। समाजसेवी और क्षेत्र के प्राचीन स्थान की जानकारी रखने वाले मुलायम चंद जैन सिंग्रामपुर वाले बताते हैं कि रानी दुर्गावती अपनी कुलदेवी मां भद्रकाली की मढ़िया तक किले के हाथी दरवाजे से अपने सफेद हाथी सरवन पर बैठकर जाती थीं। जो किले की दीवार के नीचे बनी सीढ़ियों से होते हुए मढ़िया तक विशेष पर्व नवरात्र में पहुंचती थी। नीचे कभी न खाली होने वाला महादेव भरका नाला जल कुंड है।

रानी दुर्गावती मढ़िया से लगी पत्थरों की सीढ़ियों से जल भरकर माता भद्रकाली को चढ़ाती थीं। पूजा अर्चना करती थी दुर्गा अष्टमी को जन्मी रानी दुर्गावती को मां भद्रकाली की विशेष कृपा से शक्तियां प्राप्त थीं। सभी प्रतिमाएं पहले अभयारण्य क्षेत्र और अब रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में होने की वजह से सुरक्षित है। मढ़िया के पास दो शिवलिंग हैं। एक दिव्य शिवलिंग जलहरी में विराजमान है, दूसरे शिवलिंग की जलहरी खंडित हो गई है, लेकिन शिवलिंग पूरी तरह से सुरक्षित पत्थरों के बीच है। वहीं एक हनुमान जी प्रतिमा भी है।