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गौ माता को अनूठी विदाई, बैंड-बाजे के साथ निकाली गई शवयात्रा, अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़

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सार

विस्तार

गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग जहां देशभर में तेजी पकड़ रही है, वहीं उज्जैन जिले में एक भावनात्मक और अनोखा दृश्य सामने आया। इसने लोगों के दिलों को छू लिया। यहां बैंड-बाजे के साथ एक गौ माता की अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसने समाज में गौ माता के प्रति एक नई सोच और श्रद्धा का संदेश दिया। यह यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि गौ माता के प्रति प्रेम और सम्मान की मिसाल बनी। यह शव यात्रा न्यू इंदिरा नगर नीलगंगा रोड से निकाली गई जो कि मुक्तिधाम पहुंची जहां विधि विधान से अंतिम संस्कार हुआ।

18 वर्षों से गौमाता की सेवा, देखभाल करने वाले मोतीराम मकवाना, पुरुषोत्तम मकवाना ने नम आंखों से गौमाता को विदाई दी। पुरुषोत्तम मकवाना व उनके पूरे परिवार ने कहा कि हर हिंदू को गौमाता की ऐसी सेवा करना चाहिए। पुरुषोत्तम मकवाना ने कहा कि आज गौ माता की शवयात्रा सजाकर, डीजे ढोल ताशे से जय सियाराम के नारे लगाते हुए सनातन संस्कृति, रीति रिवाज अनुसार गंगा गौ माता को मुक्तिधाम ले जाकर गौ माता को धर्म के अनुसार पूजा पाठ कर अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान श्री पावन धाम गोरक्षा न्यास हिंदू संगठन के अध्यक्ष लखन बाथम व पुरुषोत्तम मकवाना के साथ उनकी पूरी टीम जिसमें देवीलाल, गोपाल, राधेश्याम मकवाना, ईश्वर भाट, ठाकुर माली, किशोर राठौड़, जितेंद्र, कान्हा मालवीय, हरि, धर्मेंद्र माली, रवि सांडिया, दीपक मीणा, दीपक प्रजापत, धर्मेंद्र मालवी, रितेश पावरिया, जितेंद्र माली, रामचंद्र धनक, सुधीर पटोले, कैलाशचंद्र शर्मा, मोनू पाराशर, दिलीप पटोले, सुनील, भगवान, दयाराम मालवी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

फूल-मालाओं से सजी अंतिम यात्रा, लोगों ने दी श्रद्धांजलि
गौ माता की अंतिम यात्रा जब बैंड-बाजे के साथ निकाली गई, तो रास्ते भर लोगों ने फूल-मालाओं के साथ गौ माता को श्रद्धांजलि दी। यह एक अद्वितीय दृश्य था, जहां गौ माता को पूरे सम्मान और प्रेम के साथ अंतिम विदाई दी जा रही थी। उज्जैन के नागरिकों ने इस विदाई को दिल से महसूस किया, और बड़ी संख्या में लोग इस यात्रा में शामिल हुए। यात्रा में सम्मिलित लोगों ने कहा कि यह सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, यह हमारी आस्था और भावनाओं का प्रतीक थी। गौ माता हमारे लिए पूजनीय हैं, और इस विदाई ने हमें भावनात्मक रूप से जोड़ दिया है।

धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ हुई अंतिम क्रिया
गौ माता की अंतिम यात्रा के बाद, विधि-विधान के साथ उनकी अंतिम क्रिया भी पूरी की गई। स्थानीय धार्मिक संगठनों और श्रद्धालुओं ने पूरे आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आज उज्जैन में गौ माता के लिए इस प्रकार का आयोजन हुआ, और इसमें पूरे शहर के लोग शामिल हुए। इस घटना ने एक नई परंपरा को जन्म दिया, जिसमें गौमाता के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता को प्राथमिकता दी गई। आयोजन में शामिल लोगों ने कहा कि यह आयोजन सिर्फ एक गौ माता के लिए नहीं था, यह एक संदेश था कि हमें अपने पशुओं के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

गौ माता के सम्मान में नई सोच, समाज को मिली प्रेरणा
उज्जैन में गौ माता की इस अनोखी अंतिम यात्रा ने पूरे शहर में चर्चा का विषय बना दिया। जहां एक ओर सड़कों पर गौ माता की दुर्दशा और दुर्घटनाओं में उनकी मृत्यु की खबरें आम हैं, वहीं इस घटना ने समाज में एक नई उम्मीद जगाई है। मोतीराम मकवाना जैसे लोगों ने यह साबित किया है कि गौ माता सिर्फ पूजा की वस्तु नहीं, बल्कि उनकी देखभाल और सम्मान भी हमारी जिम्मेदारी है। पुरुषोत्तम मकवाना जो यात्रा में भावुक थे ने कहा कि यह पहली बार है जब मैंने किसी गौ माता की इतनी सम्मानपूर्वक विदाई देखी है। यह हमारे समाज के लिए एक उदाहरण है कि हमें न केवल उनकी पूजा करनी चाहिए, बल्कि उनकी सुरक्षा और देखभाल भी करनी चाहिए।

गौ माता की सुरक्षा और सेवा के प्रति बढ़ती जागरूकता
गौ माता की इस अनूठी विदाई ने उज्जैन के साथ-साथ पूरे शहर में पशुओं के प्रति जागरूकता का संदेश दिया है। सड़कों पर आवारा गायों की बेबसी और दुर्घटनाओं के बावजूद मोतीराम मकवाना की तरह लोग अपनी गौ माता को परिवार का हिस्सा मानते हुए उनकी सेवा कर रहे हैं। यह घटना समाज को यह संदेश देती है कि गौ माता के प्रति हमारी जिम्मेदारी सिर्फ उनकी पूजा तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनकी देखभाल, सुरक्षा और सम्मान देना भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।