सार
विस्तार
वन्य जीव विशेषज्ञ विवेक पगारे वन मंडल क्वार्टर में सांप पकड़ने गए, वे सांप को निकाल रहे थे। इस दौरान उन्हें इंडियन पेंटेड फ्रॉग मिला। बताया जाता है कि यह मेंढक मालवा क्षेत्र में पहले कभी नहीं देखा गया था। यह पहली बार है जब इस प्रजाति का मेंढक यहां मिला है। इसकी सूचना तुरंत उज्जैन वन मंडल अधिकारी को दी गई, जिसके बाद इस मेंढक को वन विभाग की नर्सरी में छोड़ दिया गया। उज्जैन में मिले इस दुर्लभ मेंढक को इंडियन पेंटेड या श्रीलंका फ्रॉग के नाम से पहचाने जाता है। इसे वन मंडल अधिकारियों के घर के बाहर से पकड़ा गया है।
वन्य जीव विशेषज्ञ विवेक पगारे ने बताया कि इंडियन पेंटेड मेंढक अधिक वर्षा वाले दक्षिणी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह मालवा में नहीं मिलता है। हालांकि, मध्य प्रदेश के रीवा में इसे देखा गया है। उज्जैन में यह पहली बार पाया गया है। यह मेंढक जमीन में गड्ढा करके रहता है, केवल हवा और पानी की अच्छी स्थिति वाले क्षेत्रों में ही पाया जाता है। यह दुर्लभ मेंढक कान्हा किसली और सतपुड़ा के जंगलों में पाया जाता है। दक्षिण भारत में भी यह रेन फॉरेस्ट में अधिकतर देखा जाता है।
माइक्रोहिलिडे परिवार का हिस्सा इंडियन पेंटेड मेंढक
इंडियन पेंटेड मेंढक का वैज्ञानिक नाम यूपेरोडोन टैप्रोबैनिकस है। यह संकीर्ण मुंह वाले मेंढक की एक प्रजाति है जो माइक्रोहिलिडे परिवार का हिस्सा है। इसे श्रीलंकाई बुलफ्रॉग, श्रीलंकाई चित्रित मेंढक, श्रीलंकाई कलौला, सीलोन कलौला, भारतीय चित्रित मेंढक या चित्रित गोलाकार मेंढक के रूप में भी जाना जाता है। यह मेंढक श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, दक्षिणी और पूर्वी भारत में पाया जाता है। शहर में मिले इस मेंढक ने क्षेत्र के वन्यजीव विशेषज्ञों के बीच उत्सुकता बढ़ा दी है।