उज्जैन सोशल मीडिया कॉन्फ्लूएंस- 2024 का आयोजन विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में हुआ
उज्जैन 15 दिसंबर l ‘उज्जैन सोशल मीडिया कॉन्फ्लूएंस- 2024’ का आयोजन विश्व संवाद केंद्र मालवा और पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में रविवार सुबह 10 बजे विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में हुआ l जिसमें उज्जैन और आगर जिले के सोशल मीडिया एक्टिविस्ट और इन्फ़्लुएंसर एकत्रित हुए l जिनके साथ देश के ख्यात सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर्स द्वारा विभिन्न विषयों पर संवाद किया l इस अवसर पर उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कैलाशचंद्र , क्षेत्र प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि हम सब सोशल मीडिया के एक्टिव यूजर्स है l कन्टेंट क्रिएटर्स और इनफ्लुएंसर भी है l हर व्यक्ति का अपना एक आभामंडल और प्रभाव क्षेत्र होता है l आज पूरी दुनिया में कुल जनसंख्या का 64 प्रतिशत और भारत की 32 प्रतिशत आबादी सोशल मीडिया यूजर्स हैl लेकिन हकीकत में हम यूजर्स है या यूज्ड हो रहे हैl य़ह आज सबसे बड़ा सवाल है l मोबाइल आपको चला रहा रहा है या आप मोबाइल को चला रहे है l य़ह हमको मालूम होना चाहिए l हम किसी के इनफ्लुएंस में है या हमारे इनफ्लुएंस में कोई अन्य है l इसलिए जो सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स पोस्ट कर रहे है वह देश हित में है या नहीं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए l
इस मौके पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज ने भी संबोधित किया l उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सोशल मीडिया राष्ट्र का प्रहरी है l जो अदृश्य ताकतें है और दृश्य रूप में भी सामने है वे या तो सौंदर्य का प्रतिमान सामने लेकर आ रही है अदृश्य शक्ति के रूप में हमारे सामने है l हमारे देश को तोड़ने के तमाम प्रयास हो रहे हैं, लेकिन हमारे सोशल मीडिया योद्धा पूरी ताकत के साथ उनका सामना कर रहे हैl आज जब हम अपनी जड़ो की और लौट रहे है तब देश में एक नई आशा जागी है l संवाद ही सभी युद्धों का एक मात्र हल है l इसलिए आज संवाद के जो माध्यम है, जिसे हम सोशल मीडिया के नाम से जानते हैं वह बहुत महत्वपूर्ण हो जाते है l कार्यक्रम में दिनेश गुप्ता, अध्यक्ष, विश्व संवाद केंद्र मालवा, डॉ. शैलेन्द्र शर्मा, कुलानुशासक,विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन और पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला के समन्वयक डॉ. सुशील कुमार शर्मा विशेष रूप से उपस्थित हुए l इसके अलावा वक्ता अभिनव खरे, तृप्ति श्रीवास्तव और दीपाली पाटवदकर
मौजूद रही l सर्वप्रथम ‘उज्जैन सोशल मीडिया कॉन्फ्लूएंस- 2024’ का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गयाl इसके बाद विश्व संवाद केंद्र मालवा के सचिव प्रणव पेठण्कर द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई l तत्पश्चात अतिथियों का स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया गया l उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न विषयों पर चार अलग-अलग सत्रों में देश के ख्यात वक्ताओं द्वारा संबोधित किया l सायं 5 बजे समापन सत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ l कार्यक्रम का संचालन राहुल शर्मा ने किया l आभार विश्व संवाद केंद्र के गोविंद शर्मा ने माना l
चार सत्रों में अलग-अलग विषयों पर हुआ संवाद
‘उज्जैन सोशल मीडिया कॉन्फ्लुएंस -2024’ का आयोजन चार सत्रों में हुआ l प्रथम सत्र में अभिनव खरे, सह-संस्थापक, AI FINTECH ने ‘भारत और हिन्दुत्व के विरूद्ध विमर्श का युद्ध’ विषय पर सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर से संवाद किया l उन्होंने कहा सोशल मीडिया का आज एक हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है। भारत विरोधी ताकतें सोशल मीडिया का उपयोग पूरी ताकत के साथ कर रहे है। सोशल मीडिया पर चल रही खबरों में से कई खबरों को आप गहराई से देखते है और समझते है तो स्पष्ट हो जाता है कि ये खबरें भारत विरोधी ही है। ऐसी कई खबरें रोज सोशल मीडिया पर योजना के साथ डाली जाती है। कश्मीर मामला हो या बांग्लादेश या फिर किसान आंदोलन, हर मुद्दे की खबर है और हर खबर के पीछे एक विमर्श। भारत विरोधी विमर्श को हमें समझना होगा। जैसे युद्ध में केवल दो ही पक्ष होते है और आपको किसी एक पक्ष की तरफ ही रहना होता है। आप यह नहीं कह सकते कि आप न्यूटल हो।यदि आप भारत विरोधी विमर्श पर प्रतिक्रिया नहीं देते हो तो माना जाएगा कि आप दुश्मन के साथ ही हो। अब समय आ गया है कि भारत विरोधी किस भी खबरे पर अपनी भूमिका तय करें और प्रतिक्रिया दे। वास्तव में यह एक वैचारिक युद्ध ही है। इससे कम कुछ भी नहीं। वैश्विक शक्तियां भारत के विरूद्ध तेजी से काम कर है और हमें भी जवाब देना ही होगा। आज भारत के विरूद्ध तैयार किये गये विमर्श को नहीं खत्म किया गया तो आने वाला समय बहुत ही खतरनाक होगा।
दूसरे सत्र में तृप्ति श्रीवास्तव, कंसल्टिंग एडिटर, साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य ने ‘सोशल मीडिया की सार्थकता’* विषय पर संवाद करते हुए कहा कि नई विचारधारा को सोशल मीडिया ने पैदा किया है। 30 सेकंड की रील काम की है या नहीं ये देखना जरूरी है। आज रील के माध्यम से सच बताया जा सकता है। आज हर किसी के पास मोबाइल है। संवाद के लिए जगह है, विचार रखने की जगह है। सोशल मीडिया के साथ संवाद भी होता है विवाद भी होता है। संवाद के साथ जिम्मेदारियों भी है। आज हर कोई स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहा है। सोशल मीडिया में जिनके फॉलोअर्स है या इन्फ्लूएंजर है, उनकी जिम्मेदारी बनती है कि आप क्या दे रहे हैं। सोशल मीडिया वाले फैक्ट चेक करे। जिनकी विश्वसनीयता हो, वह हैंडल को फालों करें। कई मामलों में सोशल मीडिया में विदेशी ताकतें हावी रहतीं है।
तृतीय सत्र में ‘सोशल मीडिया की सामाजिक समरसता में भूमिका’ विषय पर सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से संवाद किया l अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि भारत का पूरा संविधान सामाजिक समरसता के लक्ष्य को ही प्राप्त करना चाहता है l राम राज्य की मूल अवधारणा ही सामजिक समरसता है l हम थोड़ा भटक गए l उसका मूल कारण था हजारों साल की गुलामी l जिसके कारण हमारी सामाजिक समरसता छिन्न भिन्न हो गई l जिस कारण हमारे समाज के अंदर भेद भाव की भावना आ गई l जाति के बारे में हमारे समाज में बहुत बड़ा भ्रम फैलाया गया है, क्योंकि 5 वीं शताब्दी तक जाति शब्द ही नहीं था l सामाजिक समरसता में सोशल मीडिया की भूमिका सवाल पर उन्होंने कहा भारत में केवल 5 करोड़ लोग ट्विटर का उपयोग करते है lजबकि 50 करोड़ लोग फ़ेसबुक का उपयोग करते है l लेकिन हमने फ़ेसबुक यूजर्स को छोड़ दिया है l इसलिए हमको फ़ेसबुक पर अपनी उपस्थिति बढ़ाने की जरूरत है l क्योंकि इस पर हर वर्ग का यूजर्स है l चौथे सत्र में दीपाली पाटवदकर, भारतविद्, लेखिका एवं शिक्षाविद ‘भारतीय संस्कृति के स्वस्तिचिन्ह’ विषय पर अपनी बात रखी l