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Madhya Pradesh : गाँधी सागर अभयारण्य बनेगा चीतों का नया आशियाना, डॉ. यादव रविवार को 2 चीतों को छोड़ेंगे

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार को मंदसौर जिले के गाँधी सागर अभयारण्य में 2 चीतों को छोड़ेंगे। “चीता प्रोजेक्ट” मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारत में चीतों की संख्या बढ़ाना और उनकी प्रजाति को बचाना है। इस परियोजना के तहत मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के साथ अब गाँधी सागर अभयारण्य में चीतों का आशियाना बनाया जा रहा है।

गाँधी सागर अभयारण्य प्रदेश का दूसरा ऐसा स्थान होगा, जहाँ चीतों को बसाया जा रहा है। यह वन्य-जीव संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। साथ ही वन्य-जीव संरक्षण प्रेमियों और देशी-विदेशी पर्यटकों के लिये भी यह उत्साह का अवसर होगा। प्रदेश में चीतों की संख्या बढ़ाने के लक्ष्य के तहत दक्षिण अफ्रीका, केन्या और बोत्सवाना से चीते लाकर उन्हें मध्यप्रदेश के जंगलों में बसाया जा रहा है। श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 26 चीते हैं। बोत्सवाना से 8 चीते लाने की योजना है। मई-2025 तक 4 चीते लाये जायेंगे। इसके बाद 4 चीते और लाये जायेंगे। दक्षिण अफ्रीका और केन्या से भी चीते लाने की योजना प्रस्तावित है। अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिये मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है। दोनों राज्य मिलकर अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर बनायेंगे। चीता परियोजना पर 112 करोड़ रुपये व्यय किये जा चुके हैं, जिसमें से 67 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश में चीता पुनर्वास पर व्यय हुई है। भारत और लगभग सम्पूर्ण एशिया महाद्वीप से विलुप्त हो चुके चीतों का पुनर्वास कर राज्य सरकार प्रकृति से प्रगति और प्रगति से प्रकृति के संरक्षण की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है।

गाँधी सागर पूर्वी मध्यप्रदेश में स्थित एक वन्य-जीव अभयारण्य है। यह अभयारण्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच जिले में फैला हुआ है। इस अभयारण्य में सलाई, करधई, धौड़ा, तेंदू, पलाश जैसे पेड़ हैं। यह विश्व प्रसिद्ध चतुर्भुज नाला का हिस्सा है। रॉक सेंटर भी इसी अभयारण्य का हिस्सा है। इस अभयारण्य को वर्ष 1974 में अधिसूचित किया गया था और वर्ष 1984 में अभयारण्य बनाया गया। अभयारण्य में वन शैल चित्रकला स्थलों और चतुर्भुजनाथ मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों के होने से इसका पुरातात्विक और धार्मिक महत्व है।

अभयारण्य गाँधी सागर के बैक वाटर के आसपास के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो जंगली कुत्ते, चिंकारा, तेंदुआ, ऊदबिलाव, मगरमच्छ जैसे कुछ दुर्लभ प्रजातियों के लिये जाना जाता है। इसके अलावा यहाँ चित्तीदार हिरण, सांभर, ग्रे लंगूर जैसे जानवर भी पाये जाते हैं।