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संघ शताब्दी वर्ष : उज्जैन में आध्यात्मिक संस्थाओं की संगोष्ठी, पंच परिवर्तन पर हुआ विमर्श

उज्जैन। शहर की विभिन्न प्रमुख आध्यात्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं की संयुक्त बैठक आज सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई। बैठक में इस्कॉन, आर्ट ऑफ लिविंग, समन्वय परिवार, गायत्री परिवार, विश्व जागृति मंच, प्रशांति धाम, इशा फाउंडेशन, कबीर आश्रम, आर्य समाज मंदिर, श्री रामकृष्ण मिशन, ब्रह्मकुमारी संस्थान, राधा स्वामी सत्संग, सनातन संस्थान, श्री अरविन्द सोसायटी तथा जय गुरुदेव नाम प्रभु का आदि प्रतिष्ठित संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णागोपाल जी ने संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर “पंच परिवर्तन” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।उन्होंने कहा कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए भारत की कुटुंब व्यवस्था को पुनः सुदृढ़ करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि भारतीय परिवार प्रणाली केवल सामाजिक इकाई नहीं, बल्कि मूल्य, संस्कार और परस्पर सहयोग का केंद्र है, जिसे संरक्षित और संगठित रूप से आगे बढ़ाना आज की प्रमुख आवश्यकता है।

डॉ. कृष्णागोपाल जी ने भोगवाद की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भोगवादी जीवनशैली समाज को मूल्यों से दूर ले जाती है। इसे समाप्त करने के लिए संयम, सादगी, आध्यात्मिक जागरण तथा समाज-केन्द्रित जीवन पद्धति, शैली में विविधतापूर्ण होते हुए भी हम सब एक ही हैं! उसी परमात्मा की संतान हैं, सबका लक्ष्य मनुष्य को देवत्व की ओर ले जाना है, भारत माती की जय और विश्व का कल्याण है.

नशे में डूबती युवा पीढी को आध्यात्मिक संगठन ही बचा सकते हैंl

समाज में व्याप्त उंच-नीच, जातिभेद से मुक्ति एवं सामाजिक समरसता, सद्भाव के लिए सब मिल कर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने उपस्थित संस्थाओं से आग्रह किया कि वे मिलकर समाज में आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक चेतना के प्रसार के लिए संयुक्त प्रयास करें।

बैठक में विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे और भविष्य में समन्वित सामाजिक-आध्यात्मिक गतिविधियों के संचालन पर सहमति जताई। कार्यक्रम का समापन सहयोग और समरसता के संकल्प के साथ हुआ।