उज्जैनविशेषसाक्षात्कार

निर्मोही अखाड़े के श्रीमहंत जी से संवाद…

interview samacharline | samacharline.com के bureau chief ujjain आदित्य त्रिवेदी और bureau chief ahmedabad राजीव शर्मा आज मंगलनाथ क्षेत्र में सिंहस्थ – भ्रमण करने निकले | श्री पंच रामानंदीय निर्मोही अखाड़े के श्री महंत मदन मोहन दास जी महाराज का उन्होंने साक्षात्कार लिया |

interview :
samacharline : महाराज जी , निर्मोही अखाड़े की स्थापना कब हुयी ?

श्रीमहंत : निर्मोही अखाडा करीब 400 साल पहले से है |

samacharline : इस अखाड़े की स्थापना किसने की ?

श्रीमहंत : बालानंद जी महाराज के द्वारा |

samacharline : इसकी स्थापना क्यों की गई ?

श्रीमहंत :हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए |

samacharline : हिन्दू धर्म पर कैसा संकट आ गया था की रक्षा करनी पड़ी ?

श्रीमहंत : कुछ आक्रामक , कट्टरपंथी लोग होते है ! वे निरन्तर सनातन धर्म को नष्ट करने में लगे रहते थे | इसीलिए हिन्दू धर्म की रक्षा ज़रूरी थी |

samacharline : आपके इष्ट देव कौन है ?

श्रीमहंत : हनुमान जी और राम जी | आपको बताये की रामजन्मभूमि भी निर्मोही अखाड़े की भूमि पर ही है |

samacharline : आपका जन्म-स्थान कहा है ?

श्रीमहंत :साधु के जन्म-स्थान का कोई अस्तित्व नहीं | साधु का कर्म और धर्म ही प्राथमिकता होती है |

samacharline : हम अगर संत बनना चाहे तो क्या करना होगा ?

श्रीमहंत : संत बंनने के लिए वैराग्य करना होता है | त्याग करना होता है | ह्रदय से वैराग्य करना होता है | हम 10 वर्ष की उम्र से इस अखाड़े से जुड़े है और परिवार को त्याग चुके है ….

samacharline : क्या आप सिंहस्थ की तैयारियों से संतुष्ट है ?

श्रीमहंत : साधु का क्या है !! हम तो हमेशा संतुष्ट रहते है |
कभी घना-घना … तो कभी मुट्ठी चना …

samacharline : फिर भी .. आप प्रशासन की व्यवस्थायों से खुश है ?

श्रीमहंत : जी | हमे सुरक्षा भी दी गई है | हमारे अखाड़े में सब चीज़े समय पर पूर्ण हो गई है |

samacharline : आपको सिंहस्थ में कैसा लग रहा है ?

श्रीमहंत : अच्छा | यह सिंहस्थ बड़ा अच्छा होने वाला है |

samacharline : आजकल लोगो में धर्म और साधु संतो के प्रति श्रद्धा काम होती दिख रही है ! आप क्या कहना चाहेंगे ?

श्रीमहंत : देखिये, लोगो में धर्म और साधुयो के प्रति श्रद्धा कभी ख़त्म नहीं होती और न ही हो सकती है चाहे लोग कितना ही पश्चिम की संस्कृति को अपनाए | विदेशी लोग सिंहस्थ में आ रहे है , आप देख ही रहे है ! लोग दिखाते नहीं है , सुविधाजनक जीवन जीते है पर उनके अंदर श्रद्धा अभी भी है |

samacharline : धन्यवाद महाराज जी , जय श्री महाकाल !!

श्रीमहंत : जय श्री राम !!