प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेशहोम

हार ने भाजपा का घर देख लिया है

अरसे से जीत की खुशखबरी सुनने को आदी भाजपा खेमे में हार के समाचार ने हड़कंप मचा दिया है। मंडीदीप,ईसागढ़,और मैहर में स्थानीय चुनावो में करारी हार के बाद शिवराज और सुहास के चेहरे पर शिकन के भाव नज़र आने लगे है। भले ही यह जीत स्थानीय चुनावो में हुई है लेकिन चिंता की बात यह है कि हार ने घर देख लिया है।
मध्यप्रदेश का चुनावी मिजाज बताता है कि यहाँ परिवर्तन मतों के महीन अंतर से हो जाता है। स्थानीय चुनावो के परिणामो का अध्ययन किया जाय तो पता चलता है कि उम्मीदवार का चेहरा पार्टी पर भारी पड़ा है।
स्थानीय चुनावो में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी। फिर भी निराशा हाथ लगी। वही कांग्रेस एकजुट होकर लड़ी और विजय पाई।
जानकारों की माने तो यह हर हार भाजपा कार्यकर्ताओ की उदासीनता के कारण भी हुई है। कार्यकर्त्ता स्थानीय विधायक सांसद से नाराज है उनकी सुनवाई नहीं हो रही है पार्टी राज की जगह अफसर राज होता जा रहा है। कोई सुनने वाला नहीं है।
कार्यकर्त्ता की पीड़ा यदि नहीं सुनी गई तो उसकी उदासीनता कांग्रेस को यूँ ही सत्ता में ला देगी। 1993 और 1998 में ऐसा हो चूका है।
2009 के लोकसभा चुनाव में भी यही हुआ था।
बहरहाल हार ने घर देख लिया है।

प्रकाश त्रिवेदी@SamacharLine