प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

फीस फ़ोबिया से बेटियों को बचाईये शिवराज जी।

पहले उज्जैन की मुस्कान और अब भोपाल में मुख्यमंत्री के हमनाम पत्रकार शिवराज सिंह की बेटी ने फीस फोबिया में आत्महत्या की। बेटी बचाओ का नारा बुलंद करने वाले शिवराज मामा के राज में इन भांजियों का आत्महत्या करना शर्मनाक है। यह घोषणाओं और उनके जमीन पर उतरने का भयावह सच है।

भले ही शिवराज रोज भाषणों में बेटियों के लिए चिंता का दम भरते हो लेकिन हकीकत में शिक्षा व्यवस्था फीस माफिया के कब्जे में है। पता नहीं क्यों शिवराज की तिरछी नजर से ये बचे हुए है।

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मुस्कान और पत्रकार शिवराज जी की बेटी तो बस एक घटना है पूरे प्रदेश में निजी स्कुलो में फीस फोबिया ने अनेक होनहार बेटियो की या तो पढ़ाई छुड़ाईं है या उन्हें कमतर कोर्स से समझोता करना पड़ा है।
बेटियों के मसीहा बनने वाले मुख्यमंत्री क्या कर रहे है ? उनके राज में इस तरह की शर्मनाक घटना उनकी मंशा को शंका के दायरे में खड़ा करती है !
ऐसा नहीं कि सिर्फ सरकार दोषी है समाज,समाजसेवी, बेटी बचाओ के नाम पर दुकानदारी करने वाले एनजीओ (NGO) ,सब के सब जिम्मेदार है।
गौरतलब है कि प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी चरम पर है। इस संस्थानों में भले ही काबिल शिक्षक ना हो पर फीस बहुत ज्यादा है। कमाल इस बात का है कि इन पर कोई नियंत्रण नहीं है। प्रदेश के कलेक्टर नमकीन का भाव काम करने में रूचि लेते है लेकिन फीस नियंत्रण पर कोई कवायद नहीं करते है।
मजेदार तथ्य यह है कि ज्यादातर निजी शिक्षण संसथान नेताओ के है जो मंच पर तो बेटी बचाने की बात करते है पर उनकी फीस माफ़ नहीं करते है।
शिवराज ने बेटियो के लिए अनेक योजनाऍ लागु की पर इन घटनाओ से साबित होता है कि उनका कितना प्रचार प्रसार और क्रियान्वयन हो रहा है। शिवराज भले ही बेटी बचाओ की दुहाई दे पर बेटियां अब भी फीस फोबिया से ग्रसित है।
प्रकाश त्रिवेदी @ SamacharLine