देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

आनंदी बेन के इस्तीफे की असली कहानी

अचानक आनंदी बेन ने इस्तीफा क्यों दिया? फेसबुक पर इस्तीफा क्यों पोस्ट किया गया?किस कारण से नाराज थी आनंदी बेन? इन प्रश्नों का उत्तर गुजरात की सियासी रस्साकशी में तलाशा जा रहा है।

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके उत्तराधिकारी के रूप में आनंदी बेन का चयन बहुत सोच समझ कर किया गया था। मोदी चाहते थे देश और गुजरात की कमान दोनों उनके हाथ में रहे इसीलिए गुजरात के सीएम् हाऊस में सब कुछ मोदीयुग जैसा ही था स्टाफ,भी नहीं बदला गया।

अमित शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद स्थिति में परिवर्तन आया। मोदी दिल्ली में व्यस्त हुए तो अमित शाह ने गुजरात में मनमानी शुरू कर दी। कर्णावती क्लब की दीवारें गवाह है कि कितनी बार अमित भाई ने वहाँ गुजरात के सीएम बनने की मंशा जाहिर की।
अमित शाह के बढ़ते हस्तक्षेप से आनन्दी बेन परेशान थी। उनपर योजनापूर्वक ज़मीन घोटाले के भी आरोप लगाए गए। बेटी अनार बेन पर समान्तर सत्ता चलाने के आरोप लगे। अनार बेन की बेटी संस्कृति पर भी बड़े काम कराने तथा बड़ी पोस्टिंग कराने की बात आयी। माहोल ऐसा बना कि मानो आनन्दी बेन का पूरा परिवार सत्ता में भागीदारी कर रहा है।
इस तरह की मेकविलिव की राजनीति से परेशान आनन्दी बेन ने अपने लंबे राजनीतिक अनुभव से राजीनामा देने का फैसला लिया और बगैर किसी को बताए उसे फेसबुक पर पोस्ट कर सबको हैरत में डाल दिया।
अचानक उत्तरप्रदेश में केंद्रित भाजपा की राजनीति गांधीनगर में सिमट गयी।
शाह के करीबी गुजरात के प्रभारी ओम माथुर तक को पता नहीं चला।
आनंदी बेन ने पार्टी अध्यक्ष को सीधे इस्तीफा ना देकर अपनी नाराजगी भी जता दी और अपनी उम्र का हवाला देकर अपनी अगली पारी की मंशा से मोदी को अवगत भी करा दिया।
अमित शाह वर्तमान समीकरण में भले ही मुख्यमंत्री ना बने पर यह कुर्सी हमेशा से उनकी पसंदीदा रही है। वे यह भी जताते रहे है कि जिस सरखेज से वे विधायक रहे है वहाँ से सीधा राजमार्ग सीएम निवास तक जाता है।
भाजपा संसदीय बोर्ड में मोदी पर फैसला छोड़ा है देखते है दलित और पटेल समस्या से जूझ रहे गुजरात में मोदी किस पर भरोसा करते है। एक बात तय है आनन्दी बेन का पुनर्वास किसी ना किसी राजभवन में अवश्य होगा।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline