प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

कैलाश के तंज पर नंदूभैया का उपहास। क्या है भाजपा का संत्रास।

आमतौर पर कम बोलने वाले मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान(नंदूभैया) का कैलाश विजयवर्गीय द्वारा सरकार के ढुलमुल रवैये पर किए गए तंज का उपहास उड़ाना साबित करता है कि “जंग”की लकीर खींच चुकी है। योद्धा भी तय हो चुके है।
भाजपा का सत्ता संग्राम दिल्ली से बाहर निकलकर प्रदेश की सरजमीं पर लड़ा जाने वाला है। कैलाश विजयवर्गीय और गोपाल भार्गव का बयान संकेत है कि संघ के हस्तक्षेप के बाद भी भाजपा में सब कुछ सही नहीं चल रहा है।
संघ जी समन्वय बैठक के तत्काल बाद कैलाश की सरकार और अफसरों पर की गई तल्ख़ टिपण्णी कोई आवेश में दिया बयान नहीं है,यह सोच समझकर सही टाइमिंग पर सही मुद्दे पर शिवराज को घेरने की पुरजोर कवायद है।
कैलाश के बयान के साथ ही वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव का बयान भाजपा के संत्रास को प्रकट करता है।
बार बार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के द्वारा सरकार के कामकाज पर टीका टिपण्णी करना,संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने का आखिर कारण क्या है?
भाजपा की आंतरिक राजनीति की गहराई से पड़ताल करने पर पता चलता है कि प्रदेश भाजपा में हमउम्र नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष चरम पर है 13 साल से सरकार है,नेतृत्व भी स्थापित हो चूका है, ऐसे में शिवराज के हमउम्र नेताओं की बैचेनी बड़ रही है उन्हें अपने राजनीतिक सफर में ठहराव नज़र आ रहा है। यही ठहराव उनके अंदर बागी भाव उत्पन्न करता है और वे येन केन प्रकारेण बयानबाजी करते रहते है।
कैलाश विजयवर्गीय और गोपाल भार्गव की बयानबाजी इसी हताशा की उपज है।
संघ के समन्वय और हस्तक्षेप के बाद भी सत्ता के लिए आकुल नेताओं की सक्रियता जताती है कि भाजपा में सत्ता के लिए बैचेन नेताओं की खिचड़ी पकना शुरू हो चुकी है।
प्रकारांतर से भाजपा का संत्रास यही है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline