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हिंसा , मार-काट , बंगलुरु,मैसूरु में जन आंदोलन ,विवाद से भटक कर हिंसावाद फैलाना , आखिर क्यों हुआ और कैसे सुलझेगा ? समाचार लाइन आपको बताएगा …. | कहा जाता था कि विश्व में पानी को लेकर ज़रूर विवाद होंगे! पानी न होने के कारण विवाद होंगे | परन्तु कावेरी जल विवाद दुनिया में हमारे देश का एक ऐसा उदाहरण है कि पानी होने के बावजूद भी विवाद हो रहा है !!!!
कावेरी जल विवाद कर्नाटक और तमिल नाडु राज्य के बीच कावेरी नदी (जिसे दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है ) के पानी के वितरण को लेकर हुआ | कावेरी नदी साउथ इंडिया में कुछ इस प्रकार है –
अगर हम पीड़ितों की बात करे तो तमिल नाडु में इस समय केवल किसानों को पानी की समस्या होती है जबकि कर्नाटक में इसका असर किसानों के साथ साथ वहाँ के लोगो पर भी पड़ता है | तमिल नाडु में दिसंबर में लौटते मानसून की भी बारिश होती है जबकि कर्नाटक में उन्हें इसी पानी से काम चलना पड़ता है | कर्नाटक में कावेरी के ऊपर चार डैम बने हुए है पर सरकार कहती है की उनमे वांछित मात्रा में सप्लाई नही होता |
शुरुआत –
1892 में मैसूरु राज्य और मद्रास प्रेसीडेंसी के बीच यह विवाद शुरू होता है | मद्रास चाहता था कि मैसूरु राज्य कावेरी का उपयोग अपने खेतो की सिचाई के लिए न करे |
1924 में दोनों राज्य अनुबंध (agreement)कर लेते है जिसमे मैसूरु को कण्णम्बाड़ी गांव में डैम बनाने की इज़ाज़त मिल जाती है |
1974 में यह अनुबंध की समय सीमा 50 सालो के बाद समाप्त हो जाती है |
1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल बनने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक को आर्डर देती है कि वो तमिल नाडु को पानी दे | यह विवाद का जड़ भी है |
2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ट्रिब्यूनल के आर्डर का कर्नाटक सरकार द्वारा पालन न करने के विपक्ष में अनशन पर बैठ जाती है जिससे भी लोगो में आक्रोश और असंतोष बनता है |
अगस्त 2016 में तमिल नाडु सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा उठाती है और जवाब में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के. सिद्दरामैया कहते है कि हमारे पास पर्याप्त पानी नही है |
5 सितम्बर 2016 को सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक सरकार को आर्डर देते है कि वो तमिल नाडु को 15 तारीख तक 15000 क्यूसेक्स पानी दे |
12 सितम्बर 2016 को सुप्रीम कोर्ट जनता के विद्रोह के बाद कर्नाटक को नया आदेश देती है कि वह 20 तारीख तक तमिल नाडु को 12000 क्यूसेक्स पानी दे |
कावेरी तीन राज्यो से निकलती है और कहा कितना पानी है ?
Total – 740 TMC (1 TMC = 28,316,846,592 litres)
Karnataka – 462 TMC
Tamil Nadu – 227 TMC
Kerala – 51 TMC
कौन कितना पानी लेता-देता है ?
Tamil Nadu – कर्नाटक तमिल नाडु को 192 TMC पानी देता है तो इसके पास 227 TMC(तमिल नाडु की कावेरी का पानी )+ 192 TMC = 419 TMC पानी होता है |
Karnataka -कर्नाटक में कावेरी का 462 TMC पानी बहता है सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से कर्नाटक तमिल नाडु तो 192 TMC पानी देता है | इसके पास बचता है 462 – 192 = 270 TMC पानी
Kerala – 30 TMC | केरल के पास कावेरी का 51 TMC पानी है और यह पोंडिचेरी को 7 TMC देता है और पर्यावरण हेतु 14 TMC रखता है |
उत्तर कर्नाटक में कृष्णा नदी पानी पहुचाती है और दक्षिण कर्नाटक कावेरी पर निर्भर है | उत्तर केरल में कावेरी से पानी आता है जबकि दक्षिण केरल में पेरियार नदी से पानी की आपूर्ति पूरी होती है |
क्या कर्नाटक के साथ अन्याय हो रहा है ? जवाब है “नही”
इतिहास के पन्नो को देखा जाए तो तमिल नाडु के चोला राजाओं ने वहाँ कावेरी नदी पर बेहतरीन सिचाई व्यवस्था (irrigation system)बनायीं जो आज भी तमिल नाडु में पानी के रखाव में काम आते है | परन्तु इसके उलट कर्नाटक में कावेरी ज्यादा फैली है पर वहाँ डैम और पानी के रखाव की व्यवस्था न होने के कारण वहाँ आज पानी की समस्या खड़ी होती है | असल में कर्नाटक 192 TMC(सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार) से भी ज्यादा पानी तमिल नाडु को दे देता है ताकि कर्नाटक में बाढ़ जैसी समस्या न हो -मतलब उसके पास कावेरी का पानी के रखाव के लिए जलस्त्रोत नही है | यही कर्णाटक के लिए समस्या है |
कावेरी नदी जल विवाद ट्रिब्यूनल ने अपने आदेशो में हर संभावित घटना में दोनों सरकारों के काम को स्पष्ट रूप से बताया है | सूखे में , बाढ़ में क्या करना , हर महीने कितना पानी देना , आदि बाते स्पष्ट है |
इस विवाद को राजनीति ने और गहरा बना दिया | पानी को विकास की जरूरत नही मानकर राजनीति की जरूरत मान लिया गया है | दक्षिण की आक्रामक राजनीति और “पार्टी राइट्स ” ने इस विवाद के वर्चस्व को और बढ़ा दिया | जब हर चीज़ स्पष्ट रूप से अंकित है , फिर भी इस पर विवाद करना बिल्कुल भी न्यायोचित नही है |
जल के नाम पर हिंसा करने वालो
राजनीति की माचिस से देश को आग लगाने वालो
जनता माफ़ नही करेगी !!!!
- जरूरत है कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के आदेशो का पालन करके ,
- वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपना कर , विवाद में राजनीति को न लाकर शांति बनायीं राखी जाये |
- दो देश या दो दुश्मन के बीच की नही यह एक ही संगठित देश के दो विकासशील राज्यो के बीच का विवाद है , दोनों मुख्यमंत्रियों को मिलकर जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए न कि इस पर राजनीति करना चाहिए |
aditya trivedi@samacharline
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