देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

मुलायम कुनबे में टिकट वितरण के अधिकार की लड़ाई। अखिलेश के “रामगोपाल” दूसरों न कोई।

उत्तरप्रदेश चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट कोन बांटेगा?,मुलायम सिंह यह अधिकार किसे देंगे? शिवपाल-अमर सिंह की जोड़ी की चलेगी या अखिलेश -रामगोपाल की जुगलबंदी कायम रहेंगी। उत्तरप्रदेश में चल रहे मुलायम कुनबे के हाई प्रोफाईल पारिवारिक ड्रामे का मूल कारण इन प्रश्नों का जबाब खोजना है। इन प्रश्नों का जबाब सिर्फ मुलायम सिंह के पास है। शिवपाल और अखिलेश दोनों उनपर दबाब बनाकर अपने पक्ष में निर्णय कराना चाहते है। शिवपाल अमर सिंह के साथ मिलकर चाल चल रहे है। वही अखिलेश रामगोपाल यादव के साथ जुगलबंदी कर समाजवादी पार्टी पर अपना कब्जा करना चाहते है।
अमर सिंह की वापसी के बाद यह लड़ाई सतह पर आ गईं है।
सूत्र बताते है कि अमर सिंह ने ही मुलायम को अखिलेश के स्थान पर शिवपाल को सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए राजी किया।
शिवपाल के अध्यक्ष बनने के बाद अचानक अमर सिंह का प्रभाव बढ़ने लगा तो रामगोपाल और अखिलेश के कान खड़े हो गए। रामगोपाल के लिए यह असहज स्थिति थी वे यह जानते है कि उनका मुख्यमंत्री बनना असंभव है लेकिन वे शिवपाल को भी यूपी का सीएम देखना नहीं चाहते है।
बस यही से समाजवादी कुनबे की लड़ाई सतह पर आना शुरू हुई।
अखिलेश ने शिवपाल को छकाने के लिए उनके खासमखास मंत्रियो और मुख्यसचिव को हटा दिया।
खुद शिवपाल के 9 में से 7 मंत्रालय वापस ले लिए। बौखलाए शिवपाल ने अमर सिंह से मशविरा कर आनन फानन में सभी पदों से इस्तीफा देकर मुलायम को धर्मसंकट में खड़ा कर दिया। मुलायम अपने लंबे अनुभव से आसन्न संकट को भांप गए और निरपेक्ष भूमिका में आ गए।
मुलायम जानते थे कि उनका पिता और भाई होना पार्टी को नुकसान पंहुचा सकता है लिहाजा वे नेताजी की भूमिका में ही रहे।
मुलायम परिवार के सूत्र बताते है कि नेताजी भाई और पुत्र के बीच समझौता करा ही देंगे।
सूत्रों के अनुसार मुलायम के कहने के बाद शिवपाल इस्तीफा वापस लेंगे तथा उन्हें आबकारी विभाग भी मिल जायेगा। अखिलेश को टिकट वितरण के अधिकार मिल जायेंगे शिवपाल अपने समर्थको के नाम मुलायम को देंगे।
बहरहाल फायदे में अखिलेश ही रहने वाले है।
अमर सिंह और रामगोपाल पर नेताजी की गाज भी गिर सकती है।

अखिलेश के “रामगोपाल” दूसरों न कोई।

उत्तरप्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अब मुलायम प्रभाव से मुक्त होकर सिर्फ रामगोपाल यादव के सानिध्य में है। समाजवादी पार्टी में अचानक आए पारिवारिक संकट का सूत्रधार मुलायम के चचरे भाई और राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव को माना जा रहा है। शिवपाल यादव से दो दो हाथ करने की कोशिश की पार्श्वभूमि में रामगोपाल और कथित बाहरी व्यक्ति अमरसिंह की आपसी लड़ाई है।

प्रकाश त्रिवेदी की कलम से