देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

समाजवादी कुनबे में संघर्ष-विराम।

लखनऊ samacharline ।
मतभेद है, मनभेद भी है, ताने तंज भी जारी है,शक्ति प्रदर्शन हो रहे है,बोल वचन कायम है,गले मिल रहे है लेकिन दिल में दूरियां है, परदे के पीछे छल- कपट, कानाफूसी, षड्यंत्र का खेल जारी है लेकिन फिर भी बकौल मुलायम सिंह समाजवादी परिवार में सब कुछ ठीक है, प्रकारांतर से चुनाव तक संघर्ष विराम हो गया है।
समाजवादी पार्टी के 25 साल ‘ जलसे में शिवपाल और अखिलेश के बीच खूब शक्ति प्रदर्शन हुआ । लालू यादव और शरद यादव की मौजूदगी में मेल-मिलाप और प्रेम भाव का दिखावा हुआ पर दोनों के हाव भाव और तिरछी नज़रे बता रही थी कि रंजिश पर सत्ता की चाहत भारी है।
अमर सिंह खेल में मध्यांतर हुआ है। आज़म खान पशोपेश में है कि सपा के कमजोर होने की भनक से भाजपा के आने का डर मुसलमानों में उनकी अहमियत कम कर सकता है ।
समाजवादी कुनबे में कलह के पहले एपिसोड में विजेता दिख रहे अखिलेश अच्छी तरह जानते है कि यह संघर्ष विराम अस्थाई है, सत्ता की निकटता की जरा भी आशंका भी इसे खुरेंज बना सकती है इसलिए अखिलेश ने अपने स्तर पर समान्तर रणनीति बनाना शुरू कर दी है। अपनी युवा टीम और हाई टेक चुनाव प्रबंधन के सहारे वे ज़्यादा से ज़्यादा समर्थकों को जीतना चाहते है |
25 साल के जलसे में दिखी एकजुटता मुलायम सिंह को दिल्ली में प्रासंगिक बनाए रखने की कवायद से ज्यादा कुछ नहीं है।
समाजवादी परिवार में खिंची विभाजन रेखा  साफ साफ दिखाई देने लगी है।
उत्तरप्रदेश चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए बिहार फार्मूला चर्चा में ज़रूर है पर इस पर गंभीरता कम दिखाई दे रही है। बिहार चुनाव में मुलायम के रवैये को अब तक जेडीयू और आरएलडी के अलंबरदार भूले नहीं है ।
बहरहाल 25 साल का जलसा सपा कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने के लिए भी किया गया है कि पार्टी एकजुट है “अभी सिर्फ जीतो” कुर्सी की जंग बाद में लड़ लेंगे ……. ।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline