उज्जैनप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

नोटबंदी का शिकार-गधों का बाज़ार।

उज्जैन। मोक्षदायनी क्षिप्रा के तट पर इस वर्ष अप्रैल में साधु संतों का कुम्भ मेला लगा था , उसी जगह पर कार्तिक पूर्णिमा में गधों का मेला लगा है । यह मेला भी मोदी जी के नोटबंदी का शिकार हो गया है। सुल्तान और बाहुबली जैसे नामचीन गधे भी 2 से 5 हजार की कीमत में उपलब्ध है लेकिन नकदी के आभाव में खरीदारी नहीं है।

गौरतलब है कि उज्जैन में कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले से यह मेला लगता है। उज्जैन मेंव काल से इसकी परम्परा है । गंधर्वसेन नाम के राजा का उल्लेख भी मिलता है लेकिन उसका गधे के मेले से क्या सम्बन्ध है शोध का विषय है। इस मेले में किसान,कुम्हार,ईंट भट्ठे वाले दूर दूर से गधे खरीदने आते है।
मेले में तमाम किस्म के गधे आते है, देश भर से विभिन्न नस्लो के दमदार गधे यहाँ की रौनक बनते है। ख़रीदी को रोचक बनाने के लिए इनके फ़िल्मी नाम भी रखे जाते है जो चर्चा में रहते है।
इस बार 1000 और 500 के नोटों के बंद होने से गधों के खरीदार नहीं मिल रहे है। उधारी पर कुछ गधे बिके है लेकिन जो धंधा पहले के मेलो में हुआ है अब नदारद है।
बहरहाल मोदी जी से कालाधन रखने वाले ही नहीं गधे पालने वाले भी परेशान है।
प्रकाश त्रिवेदी@samacharline