उज्जैनप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

मालवा के किसान है भाजपा के भाग्यविधाता।

उज्जैन। 10 दिसम्बर को मुख्यमंत्री उज्जैन में किसानों से रूबरू होने वाले है। मालवा का किसान हमेशा से भाजपा का भाग्यविधाता रहा है। मालवा में जीत तो सरकार, मालवा मे हार तो विपक्ष की भूमिका। इसी तथ्य के मद्देनजर शिवराज महाकाल की धरती से किसानों के साथ संवाद की शुरुआत कर रहे है। नोटबंदी से हलाकान हो रहे किसानों को शिवराज से राहत भरी घोषणाओं की उम्मीद है।

गौरतलब है कि मालवा के उज्जैन,देवास,धार,रतलाम,मंदसौर,नीमच,शाजापुर, आगर, इंदौर, जिलो में गांव गांव में भाजपा का किसान केडर है,इसी केडर की बदौलत 1990,2003,2008, 2013, में भाजपा की सरकार बनी है। 1990 में मालवा के किसान ने क ऋण माफ़ी अभियान से भाजपा से नाता जोड़ा। उस समय भाजपा नेता प्यारेलाल खंडेलवाल ने गांव गांव घूमकर किसानों से ऋण माफ़ी के फार्म भरवाए,और सरकार बनने पर ऋण माफ़ी का वायदा किया।
मालवा के किसान ने भी भाजपा को भरपूर समर्थन दिया।
यह रिश्ता समय के खट्टा मीठा होता रहा। 1993 में अतिआत्मविश्वास ने किसानों भाजपा से दूर किया और दिग्विजय सिंह की सरकार बनी। 1998 में भाजपा नेताओं की अकर्मण्यता ने फिर किसान का समर्थन खो दिया और दिग्विजय पुनः सत्ता में आ गए।
2003 के चुनाव में आने के पहले भाजपा ने मालवा के किसान के समर्थन के तथ्य को नोटिस किया और मालवा में धुंआधार प्रचार अभियान चलाया गया। खाद,बीज,बिजली,पानी,सड़क के मुद्दे लेकर भाजपा के कार्यकर्त्ता गांव गांव और चौपालों पर गए और उमा भारती,कैलाश जोशी की विश्वसनीयता पर भरोसा कर मालवा के किसान ने बम्पर सीटें भाजपा को दी।
किसान मोर्चा,किसान संघ ने पुरानी गलती से सीख कर इन किसानों से लगातार संवाद जारी रखा। किसान संघ ने तो कई बार किसानों के लिए अपनी ही सरकार से दो दो हाथ किए,परिणाम स्वरुप मालवा का किसान भाजपा के साथ दिल से जुड़ गया।
शिवराज ने इस रिश्ते को और मिठास दी। गांव गांव टीले मजीरे में दौरे किए सीधे सीधे किसान के साथ संवाद किया,बिजली दी,खाद बीज उपलब्ध कराया, सड़के बनाई,मंडी में सुविधाएं बड़ाई, फसल बीमा,किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाऍ लाए। फसल का समर्थन मूल्य बड़ाया, बोनस दिया, गांव गांव में स्कूल अस्पताल खुलवाए। लिहाजा फसल का रकबा बड़ा,भाजपा का भी वोट बड़ा।
अब मालवा मे किसान को नोटबंदी से उपजी परेशानी के निराकारण की उम्मीद है। मंडी में फसल बेचने पर जरूरत के अनुसार नकदी की व्यवस्था किसान को चाहिए। बिजली बिलों और अस्थाई कनेक्शन में रियायत भी किसान को चाहिए।
उज्जैन में किसान सम्मलेन का लब्बोलुबाब भी यही है कि महाकाल की धरती से रियायत बरसे और कृष्ण बलराम की शिक्षा भूमि से किसानो को शिवराज सौगाते दे।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline.com