Aditya Trivediउज्जैनविशेषसाहित्य

ईमानदारी की दवा ही इलाज है … !

poem samacharline | 

मुझे समझ नहीं आता है ! 

ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय क्यों समझा जाता है ?

क्या इसीलिए कि इसका नैतिकता से नाता है ?

लालच की सीमा जब लांघ जाती है ईमान को ,

आय से अधिक संपत्ति का स्वामी खो देता है सम्मान को |

अच्छे ईमान का दिखावा हेतु ; छुपा देता है कमरों में ‘काले’ नोट ,

धन-संपत्ति की लालसा को शरण देकर ; पहुंचाता है स्वयं के ज़मीर को चोट ||

धन की देवी की पूजा भी करते हो और तिरस्कार भी ,

न दे सके अपने ईमान को यथर्थ आकार भी |

ईमानदारी की दवा ही इसका ईलाज है ,

सच्चे और अच्छे ईमान के बूते अच्छा समाज है || 

 

ईमानदारी जीवन मूल्य है , समाज की ज़रुरत है ,

बेईमानी अगर मिथ्या है तो ईमानदारी  हकीकत   है |

शुद्ध मन , अच्छे विचार एवं विकासशील समाज ईमान ही बनाता  है ,

कर्म और धर्मं के महत्व को ईमान ही समझाता है |

धर्मं हमें ईमानदारी का पाठ पढ़ाता है ,

समाज को अच्छी दिशा-दशा की और बढ़ाता  है |

ईमानदारी की दवा अशुद्धता का ईलाज है ,

सच्चे और अच्छे ईमान के बूते अच्छा समाज है || 

 

~ आदित्य त्रिवेदी

( कवि समाचार लाइन के न्यूज़ एडिटर है | युवा कवि है | )

CONTACT