भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नमामि देवी नर्मदा अभियान से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री, नर्मदा को ओढ़ने, बिछाने,और भुनाने वाले, नर्मदा की जल,वायु,और सड़क मार्ग से यात्रा कर चुके,नर्मदा तट पर विश्व नदी सम्मलेन करा चुके “नदी का घर” में रहने वाले अनिल माधव दवे नदारत है। उनकी कोई भूमिका नज़र नहीं आ रही है। उन्हें नर्मदा सेवा यात्रा के शुभारंभ में भी नही बुलाया गया।
नर्मदा पुत्र शिवराज ने नर्मदा के भक्त अनिल माधव दवे को क्यों इस महत्वक्षाकांक्षी से दूर रखा ; चिंतन का विषय है। गौरतलब है कि नर्मदा के पर्यावरण,पुरातन महत्त्व,और उसके जल संरक्षण को लेकर अनिल दवे ने खासे प्रयास किए है।
जन अभियान परिषद के मुखिया रहते हुए उन्होंने नर्मदा पर अनेक उपक्रम किए। स्वयं ने नर्मदा की सड़क,जल,और वायु मार्ग से परिक्रमा की। नर्मदा तट पर विश्व नदी सम्मलेन कराया। नर्मदा पर साहित्य प्रकाशित कराया।
जन जागरण अभियान चलाया। नर्मदा यात्रा को सुगम बनाने के लिए यात्रा पथ का नक्शा तैयार कराया, पड़ाव स्थलों पर सुविधाएं जुटाने का प्रयास किया। यात्रा के लिए स्वयं सेवक तैयार किए।
अचानक नर्मदा का राजनीतिक आँकलन हुआ और शिवराज में नर्मदा को फोकस कर लिया।
आनन फानन में योजना बनी ‘नमामि देवी नर्मदे अभियान ‘ को मंजूरी दी गईं उर 144 दिनों की नर्मदा सेवा यात्रा शुरू हुई।
नर्मदा पट्टी के अनूपपुर से लेकर बड़वानी जिले तक के विधानसभा क्षेत्रो को कवर करने वाली यात्रा के लिए संघ का आशीर्वाद भी शिवराज को मिल गया,स्वयं भैया जी जोशी अमरकंटक में यात्रा के शुभारंभ में शामिल हुए और शिवराज की जमकर तारीफ की।
आखिर अनिल माधव दवे क्यों दरकिनार किए गए ? शिवराज के निकटवर्ती सूत्रों के अनुसार सिंहस्थ महापर्व में भैया जी जोशी की विचारकुम्भ की परिकल्पना को सरकार के माध्यम से शिवराज ने साकार किया लेकिन उसके सूत्रधार के रूप में सारा श्रेय अनिल दवे ले गए और पहले राज्यसभा सांसद रिपीट हुए बाद में मंन्त्री बन गए। अनिल दवे की राजनीतिक समझ को भांपकर ही शिवराज ने उनसे नर्मदा अभियान लपक लिया।
याद रहे प्रचारक से शुरू हुए अनिल दवे ने तेजी से उमा भारती,अमित शाह,और मोदी जी का विश्वास जीता और अपनी अध्ययनशील,राष्ट्रवादी चिंतक,और पर्यावरणवादी नेता की छवि बनाकर राज्यसभा में जगह बनाई और तदन्तर मंन्त्री बन गए। उनपर मोदी का वरदहस्त भी दिखाई दिया।
जानकारों के अनुसार शिवराज को सिर्फ दवे ही चुनोती दे सकते है। वे मालवा से है,ब्राह्मण है,खट्टर की तरह प्रचारक रहे है,संघ के प्रिय है मोदी और शाह दोनों को पसंद है।
2018 के पूर्व भाजपा में उठने वाले असंतोष के तूफान के संकेत मिलने लगे है,बंद कमरा बैठकों में कार्यकर्ताओं की नाराजगी और सरकार की कार्यप्रणाली पर विचार मंथन जारी है।
बहरहाल नर्मदा के भौतिक पुत्र शिवराज ने उसके पुजारी अनिल माधव दवे को नर्मदा सेवा यात्रा से दरकिनार रखकर अपने इरादे जाहिर कर दिए है। देखना है “नदी का घर’ कैसी प्रतिक्रिया देता है।
प्रकाश त्रिवेदी@samacharline