उज्जैनप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

‘कैशलेस’ नहीं ‘लेसकैश’ लेनदेन के पक्ष में है भारतीय किसान संघ।

उज्जैन। संघ के विचार परिवार में सबसे मुखर भारतीय किसान संघ मोदी सरकार की कैशलेस लेनदेन प्रणाली को लेकर नाखुश है,किसान संघ कैशलेस के स्थान पर लेसकैश लेनदेन के पक्ष में है। हालांकि दूरगामी असर को लेकर किसान संघ नोटबंदी के समर्थन में है। किसान संघ 8 नवंबर से 31 दिसंबर तक नोटबंदी के कारण किसानों को हुई परेशानी के लिए सरकार से मुआवजे की मांग पर भी विचार कर सकता है।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठनमंत्री दिनेश कुलकर्णी ने मिडिया से चर्चा में स्वीकार किया कि नोटबंदी के लागू करने में बैंको ने कोताही की है। किसान नकदी नही मिलने से परेशान हो रहा है।
गौरतलब है कि भारतीय किसान संघ को नोटबंदी के बाद देशभर से जो फीडबैक मिला है उसके अनुसार सहकारी बैंकों पर नोट बदलने और लेनदेन की रोक लगाने से किसानों को बहुत परेशानी हुई है।
इसके आलावा किसानों के लिए नकद आहरण की सीमा भी बढ़ाने की जरुरत है।
नोटबंदी को लेकर संघ परिवार में मतभेद सामने आने लगे है। नोटबंदी का सभी समर्थन कर रहे है लेकिन इसके क्रियान्वयन और बैंकों की भूमिका को लेकर संघ परिवार खासा नाराज है।
संघ परिवार के अलमबरदारों ने वित्तमंत्री अरुण जेटली से मिलकर तमाम फीडबैक और जानकारियां साँझा की है और सरकार को सलाह दी है क़ि वो नकदी ज्यादा मात्रा में उपलब्ध कराए,और ख़ास तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में बैंकों में नकदी किसानों को आसानी से मिल सके इसकी व्यवस्था करे।
कुलकर्णी के अनुसार किसान संघ किसानों के बीच जन जागरण का काम भी कर रहा है।
किसान संघ की बैठकों में जो फीडबैक आ रहा है उसके अनुसार यदि बैंक व्यवस्था नहीं सुधरी तो देशभर में किसान असंतोष सामने आ सकता है। कुलकर्णी ने माना कि मार्च तक सब कुछ ठीक नहीं होने वाला है।
बहरहाल किसान का गुस्सा किसान संघ को महसूस होने लगा है,हालाँकि किसान संघ गुस्से को उबलने से रोकने का सारा प्रयास कर रहा है लेकिन जेटली कितनी जल्दी नकद व्यवस्था सुधार पाते है इस पर सब कुछ निर्भर करता है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline