Aditya Trivediउज्जैनधर्मं/ज्योतिषविदेश

बरमूडा त्रिकोण का रहस्य रावन की नाभि की अमर मणि में ही है जिसे हनुमान ने फेंका था …

भारत के पास जो आध्यात्मिक विरासत है वो दुनिया में किसी भी देश के पास नही है | हमारे ग्रंथो में दुनिया के अनसुलझे रहस्यों का उत्तर लिखा हुआ है | हम अगर आधुनिक विज्ञानं न पढ़कर अगर भारतीय आध्यात्मिकता का ही अध्ययन कर लेंगे तो हमें दुनिया के अनेक रहस्यों का पता चल जायेगा |
आप सभी ने बरमूडा त्रिकोण के बारे में यह सुना होगा |

इस इलाके में आज तक अनगिनत समुद्री और हवाई जहाज आश्चर्यजनक रूप से गायब हो गए हैं और लाख कोशिशों के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है। कुछ लोग इसे किसी परालौकिक ताकत की करामात मानते हैं, तो कुछ तो कुछ को यह सामान्य घटनाक्रम लग रहा है। यह विषय कितना रोचक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस पर कई किताबें और लेख लिखे जाने के साथ ही फिल्में भी बन चुकी हैं। सदियों से चर्चा का विषय रहे इस त्रिकोण के क्षेत्रफल को लेकर भी तरह-तरह की बातें कही और लिखी गई हैं। इस मसले पर शोध कर चुके कुछ लेखकों ने इसकी परिधि फ्लोरिडा, बहमास, सम्पूर्ण केरेबियन द्वीप तथा महासागर के उत्तरी हिस्से के रूप में बाँधी है। कुछ ने इसे मैक्सिको की खाड़ी तक बढ़ाया है। शोध करने वालों में इसके क्षेत्रफल को लेकर सर्वाधिक चर्चा हुई है। 

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हम आपको बताते है इसकी असली सच्चाई | दुनिया में अनेक रहस्यों में से यह रहस्य सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला है | हर रहस्य के बारे में भिन्न भिन्न लोग भिन्न-भिन्न बाते करते है | विज्ञानं ने भी इसके उत्तर दिए | पर सत्य तो एक ही होता है |

हम सभी ने रामायण में सुना है की रावन को शिव जी का वरदान था | वो वरदान रावन के पास उसकी नाभि में  अमर मणि (immortal gem )के रूप में था |

जब रामलीला का अंत होना था अर्थात रावन की मृत्यु का समय आ गया था तब यह सभी को ज्ञात था कि :

शिव जी के वरदान के कारण रावण अमर रहेगा | भगवान् शिव  ही इसका उपाय बता सकते थे | उन्होंने पता था कि रावण की पत्नी मंदोदरी उनकी अनन्य भक्त है तथा वो  ही जानती थी कि रावण ने उस मणि को कहा रखा है | इसीलिए भगवान् शिव एक साधू के वेष में मंदोदरी के पास गये और उन्हें आशीर्वाद दिया और बदले में दक्षिणा में मणि मांगी  | मंदोदरी को यह ज्ञात हो गया था कि साक्षात् शिव भगवान् उनके पास मणि मांगने आये है | तब उन्होंने वह मणि उन्हें दे दी | जिसे रावण अपनी नाभि में रखकर युद्ध लड़ता था अब वह यह नही कर पाया  और उसकी मृत्यु हो गयी |

जब रामलीला का अंत हुआ तब हनुमान जी को यह जिम्मेदारी दी गयी कि इस मणि को वे किसी विशाल महासागर में विलीन कर दे ताकि उसका कोई अन्य मनुष्य उपयोग न कर पाए | तभी हनुमान जी ने इस मणि को (अटलांटिक) महासागर में फेंका था और वो मणि का असर आज भी बरमूडा त्रिकोण के रूप में हमें मिलता है |

मणि में क्या जादू  है ? 

उस मणि में कई विशेष शक्तियां थी जो शिव जी के क्रोध से उत्पन्न हुयी थी | इसीलिए उस मणि हर चीज़ को निगल लेने की शक्ति भी थी जो आज भी है | इस रहस्य को विज्ञानं नही सुलझा सकता क्यूंकि इसका स्त्रोत तो सीधे शिव जी के पास है |

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Aditya Trivedi

News Editor

samacharline.com

 

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