प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेभोपालमध्य प्रदेश

आखिर कौन बनेगा नेता प्रतिपक्ष।

भोपाल। “कांग्रेस भाजपा से क्या मुकाबला करेगी,जो पार्टी विधानसभा में अपना नेता नही तय कर पा रही वो शिवराज का क्या सामना कर पायेगी”। यह प्रतिकिया कांग्रेस गहराई से जानने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार की है। गौरतलब है कि विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है,लेकिन अभी तक स्थाई नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं हो सका है।
जानकारी के अनुसार 20 फरवरी को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इस विषय पर रायशुमारी होना है।
सत्यदेव कटारे नेता नेता प्रतिपक्ष थे लेकिन वे अपने कार्यकाल में ज्यादातर बीमार रहे। अब उनके अवसान के बाद बाला बच्चन को कार्यवाहक नेता बनाया गया था। उनका विधानसभा में प्रदर्शन भी बेहतर रहा है। सौम्य,संघर्षशील और पढ़े लिखे राजनीतिक की पहचान रखने वाले बाला बच्चन को लेकर कांग्रेस के कतिपय नेताओं में डर और असहजता दोनों है।
मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस पर अब सवाल उठने लगे है। एक तरफ पार्टी भाजपा से दो दो हाथ करना चाहती है वही वो नेता प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर किसी का चयन नहीं कर पा रही है। कांग्रेस का खोखलापन इसी से जाहिर होता है।आमजन में भी यह धारणा बन रही है कि कांग्रेस के पास शिवराज की तोड़ का कोई नेता नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का निजी तौर पर प्रभाव नही है उनकी जनमानस में स्वीकार्यता भी नहीं है और तो और उनकी पार्टी में ही उन्हें जूनियर ट्रीट किया जाता है लिहाजा पार्टी के पास नेता प्रतिपक्ष के रूप में ऐसा चेहरा होना चाहिए जिसमें भाजपा से लड़ने का सदन के अंदर और बाहर माद्दा हो। कुछ नाम सामने आए है। मुकेश नायक अच्छे वक्ता है,व्यक्तित्व भी प्रभावी है लेकिन उनकी प्रमाणिकता संदेह में रहती है। उनकी पार्टी निष्ठा भी दरक चुकी है।
रामनिवास रावत बेहतर है पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की चलती है तो वे महेंद्र सिंह कालूखेड़ा का नाम ही देंगे। जीतू पटवारी युवा तुर्क है उनमें माद्दा और जज्बा दोनों है पर पहली बार के विधायक होने के कारण वे कमतर आंके जा रहे है।
गोविन्द सिंह सबसे अच्छा विकल्प है पर उनको लेकर विवाद भी खूब है, दिग्विजय सिंह के अलावा कोई उनके नाम पर राजी नहीं होगा।
मध्यप्रदेश आदिवासी बहुल है ऐसे में आदिवासी विधायक बाला बच्चन ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। वे चार बार के विधायक है मंन्त्री रह चुके है। युवा कांग्रेस और पार्टी में जिम्मेवार पदों पर रहे है।
कांग्रेस को ईमानदार और मेहनती नेतृत्व की जरुरत है। नेता प्रतिपक्ष ऐसा भी होना चाहिए जिसे सरकार डर, भय या प्रलोभन से न खरीद सके।
बहरहाल बिना सेनापति से कांग्रेस मैदान में उतर गयी है। देखते है कौन हरावल दस्ते का नेतृत्व करता है।
प्रकाश त्रिवेदी@samacharline