प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेभोपालमध्य प्रदेश

मिले बांचे अभियान-बदहाल स्कूली शिक्षा।

भोपाल। भले ही एक दिन के लिए ही सही जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने स्कूली शिक्षा के हालात का जायजा ले लिया। सर्व शिक्षा अभियान,राजीव गाँधी शिक्षा मिशन,स्कुल चलो अभियान,शिक्षा का अधिकार कानून,जैसे तमाम प्रयास होने के बाद भी स्कूली शिक्षा का स्तर क्या है। साहब लोगो को समझ में आ गया होगा।
लाख टके का सवाल है क्या एक दिन के लिए पढ़ाने गए अलमबरदार अपने घर परिवार के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना पसंद करेंगे?
13 साल के भाजपा शासन में सरकारी स्कूल की संख्या तो बड़ी है,सुविधाएं भी बड़ी है,भवन और संसाधन भी उपलब्ध है पर शिक्षा की गुणवत्ता नहीं सुधरी है।
गुरूजी,अध्यापक,सहायक शिक्षक,शिक्षक,संविदा वर्ग 1,2,3 जैसे नाम शिक्षकों को दिए गए पर क्लास रूम टीचिंग में गुणवत्ता नहीं आ पाई।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा पर शक नहीं है पर सवाल उठता है 13 साल में एक भी अच्छा शिक्षा मंत्री प्रदेश को नही मिला है। जो भी मंन्त्री रहे है उनका शिक्षा से ज्यादा नाता नहीं रहा हैं।
गौरतलब है कि भाजपा शासित राजस्थान में शिक्षा मंन्त्री वासुदेव देवनानी ने अनुकरणीय काम किया है। स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार किए है। शिक्षकों के लिए भी उनकी सेवा शर्ते और कार्यकुशलता पर ध्यान दिया है। मूल्यांकन की प्रणाली विकसित की है तथा संघ एजेंडे के अनुरूप पाठ्क्रम में माकूल बदलाव किए है।
मध्यप्रदेश में संघ के प्रकल्प विद्या भारती का कामकाज भी सरस्वती शिशु मंदिर तक ही सीमित रहा है। शिक्षा को समाज जीवन का आधार मानने वाले संघ विचारको का फ़ोकस स्कूली शिक्षा के स्तर को सुधारने में नहीं लगता है।
भवन बनाने से या मध्यान्ह भोजन देने से या संविदा शिक्षक भर्ती में अनुसूचित वर्ग को न्यूनतम योग्यता में छूट देने से शिक्षा का स्तर नहीं सुधरेगा इसके लिए तंत्र को नया सेटअप देना होगा।
80 के दशक में जिस तरह स्कुल चल रहे थे उसी सिस्टम को नए परिवेश में लाना होगा।
शिक्षा में मेधा और कौशल विकास को बढ़ावा देना होगा। कम से कम समाज जीवन के इस प्रकल्प में राजनीति नहीं होनी चाहिए। जो योग्य है वो आएं और पढ़ाए।
स्कुल शिक्षा विभाग में भी काबिल मन्त्री लाना होगा,समर्पित अधिकारी और शिक्षक आए,प्रयास करना होंगे।
कम से कम कुछ राजस्थान से ही सीख ले ताकि स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार नजर आए।
बहरहाल मामाजी से भांजे और भांजियों को एक दिन पड़ा तो दिया लेकिन ये एक दिन सबक लेकर समूची व्यवस्था को बदले तब कारगर होगा।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline.com