देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

मायावती का दलित वोटबैंक भाजपा की तरफ खिसका

लखनऊ। मायावती के दलित वोटबैंक में भाजपा की सेंध लग गई है। यूपी चुनाव में अब तक 209 सीटों पर हुए मतदान के रुझान बता रहे है कि दलित वोटर मायावती के हाथ से फिसलने लगा है। पश्चिम उत्तरप्रदेश और रूहेलखंड के बाद अवध में भी गैर जाटव दलित वोटर भाजपा के साथ खड़ा दिखाई दिया है।
सपा के यादव-मुस्लिम फार्मूले की काट के लिए मायावती से दलित- मुस्लिम गठजोड़ खड़ा करने की कोशिश की है। मायावती की इस रणनीति से वाल्मीकि,पासी, कोली,खटीक और अन्य गैर जाटव दलित जातियों में नाराजगी उभर कर सामने आयी और इन जातियों ने खुलकर भाजपा का साथ दिया है।
यूपी की राजनीति के जानकार बताते है कि मायावती ने एक भी वाल्मीकि उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है इस कारण भी वाल्मीकि समाज मायावती से नाराज है। अन्य दलित समाज को रोजमर्रा की जिंदगी में यादव- मुस्लिम गठजोड़ से डर भर गया है लिहाजा उनके पास भाजपा के अलावा कोई विकल्प नहीं था। क्योंकि मायावती भी मुस्लिम कार्ड पर खेलने पर आमादा थी।
उत्तरप्रदेश की दलित राजनीति में पहली बार इतना विचलन देखने में आया है।
बनारस के दलित चिंतक दिवाकर कहते है कि दलितों को नेतृत्व का भरोसा और भय मुक्त सम्मान चाहिए,उन्हें अब लगने लगा है कि भाजपा में उनका सम्मान और राजनितिक हिस्सेदारी ज्यादा सुरक्षित है।
आंबेडकर और अन्य दलित महापुरुषों के प्रति संघ और भाजपा के सकारात्मक रवैये ने भी दलित समाज में भाजपा की पैठ बड़ाई है।
मध्यप्रदेश,राजस्थान,महाराष्ट्र,गुजरात में भाजपा सरकारों ने दलितों के लिए जो काम किया है उसको देखकर भी यूपी का दलित मतदाता उत्साहित है। भाजपा संगठन ने भी दलित नेतृत्व को अपनी पार्टी में पर्याप्त महत्त्व दिया है। सबसे ज्यादा दलित जनप्रतिनिधि भी भाजपा के ही है।
इन सब तथ्यों के मद्देनज़र भी दलित मतदाता भाजपा से प्रभावित नज़र आ रहा है।
बहरहाल दलितों के अप्रत्याशित समर्थन से भाजपा भी उत्साहित है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline