देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

बदहाल बुंदेलखंड का विकास कौन करेंगा?

झांसी। उत्तरप्रदेश के बदहाल बुंदेलखंड का विकास कौन करेगा?
सपा-बसपा की सरकारों ने इस वीर भूमि की सुध नहीं ली है। भाजपा और कांग्रेस भी कम दोषी नहीं है। पानी,बिजली,सड़क,रोजी रोजगार के लिए तरस रहे बुंदेलखंड की बदहाली को कौन दूर करेंगा यह यक्ष प्रश्न है। उत्तर प्रदेश चुनाव में सब दल विकास का राग अलाप रहे है,लेकिन बुन्देलखण्ड में विकास दूर की कौड़ी है।
23 फरवरी को यहाँ मतदान होना है, झाँसी,  उरई, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, ललितपुर, मानिकपुर, महोबा, का हिस्सा उत्तरप्रदेश का बुंदेलखंड है। कहने को उमा भारती, नसीमुद्दीन सिद्दकी,प्रदीप जैन आदित्य,स्वतंत्र देव सिंह जैसे दिग्गज नेता यहाँ सांसद, विधायक,मंन्त्री रहे है।लेकिन बदहाली बरक़रार है।
खेतों में पानी नहीं है,पेयजल की विकराल समस्या है,सड़क,बिजली गायब है,अस्पताल में मरीज तो बहुत है और डॉक्टर,दवाई और इलाज नहीं है।
जनसंख्या का सबसे ज्यादा पलायन यहाँ से होता है। गांव के गांव खाली है सारे मर्द औरते काम के लिए दिल्ली,मुम्बई,गुजरात,पंजाब,जाते है। रोजी रोजगार का आभाव है। स्कुल अव्यवस्था का शिकार है।
वोट मांगने नेता आते है,बाहुबली नेताओं का यह गढ़ है। ताकत और प्रलोभन के बल पर नेता जीत जाते है,खूब अवैध खनन करते है,अपराध को बढ़ावा देते है। पर विकास की बात नहीं करते हैं।
एक बार फिर बुंदेलखंड ठगाने के लिए तैयार है।
अखिलेश बदहाली का ठीकरा केंद्र पर फोड़ रहे है,अमित शाह और मोदी बुंदेलखंड पैकेज का झुनझुना बजा रहे है। मायावती दबंगों को विकास में बाधक बताती है। कांग्रेस ने भी सर्फ नेता दिए है विकास नहीं।
वीर बुंदेलों और त्याग की धरती विकास के लिए तरस रही है।
अलग बुन्देलखण्ड राज्य की मांग अर्से से उठती रही है। मायावती ने अपने शासन में अलग बुन्देलखण्ड राज्य का प्रस्ताव भी विधानसभा में पारित किया है। इस चुनाव में अलग राज्य का मुद्दा गायब है।
बहरहाल अब भी यहाँ लोगों को उम्मीद है कि आगरा-लखनऊ का विकास बाँदा-महोबा तक आएगा।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline