देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

लोकनायक शिवराज का “सर्वश्रेष्ठ” आना अभी बाकी है। (जन्म दिन विशेष)

भोपाल। वे मेहनती है,सहज सरल है,मृदुभाषी है,प्रामाणिक कार्यकर्त्ता है,लोकप्रिय वक्ता है,अथक यात्री है,जननायक है,संवेदनशील है,उदार है,समन्वयवादी है,सामंजस बनाकर रखते है,अपरिहार्य राजनेता है,फिर भी उनका “सर्वश्रेष्ठ” आना अभी बाकी है। हम मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात कर रहे है।
आज उनका 58 वा जन्मदिन है। बधाई, शुभकामनाओं, जिंदाबाद, जयकारो के बीच कुछ अनकहे सवाल भी आ खड़े हुए है। उनको भी जवाब चाहिए। लाख टके का सवाल है क्या शिवराज के व्यक्तित्व का “सर्वश्रेष्ठ” सामने आ गया है?। क्या उनकी लोकनायक छवि के इतर भी कोई व्यक्तित्व है?। क्या वे सफल मुख्यमंत्री है?। क्या उनमे प्रशासनिक दक्षता अपने पूर्ववर्तियों जैसी है?। क्या वे मध्यप्रदेश को विकसित राज्य बना पाए है?। राजनीति के इतर शासन और प्रशासन में मोर्चे पर वे कितना सफल रहे है?।
13 साल से शिवराज मुख्यमंत्री है।
किसान पुत्र है। खेत खलिहान से वाकिफ है। उन्हें कृषि कर्मण अवार्ड भी मिलता रहा है। क्या इतने सालों मे वे कृषि को लाभ का धंधा बना पाए है। यह उनका सबसे बड़ा सपना रहा है। खुद स्वयं के खेत में ही नुकसान उठा चुके है। चुक कहा हुई है।
किसान को समय पर सब मिलना चाहिए, बीज, खाद, दवाई, ऋण, और फसल बेचने के लिए बाजार। क्या ऐसा हो पाया है? नहीं। बाकि सब तो ठीक है फसल का मूल्य ही नहीं मिल रहा है। सरकार के समर्थन मूल्य से कम पर अनाज बिक रहा है। लागत निकले इसके भी लाले है। क्यों?।
शिवराज की मंशा अच्छी है, लेकिन कृषि और सहकारिता विभाग की लालफीताशाही इस कदर हावी है कि किसान पनप नहीं पा रहा है। इस पर लगाम लगाने के लिए शिवराज का “सर्वश्रेष्ठ” आना अभी बाकी है।
स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा का भगवान ही मलिक है। स्कुल भवन है,मास्टर जी है, पर शिक्षण नदारत है। उच्च शिक्षा तो प्रयोगधर्मिता का शिकार होती रही है। हम सिर्फ डिग्रियां बाँट रहे है, कौशल नही। तकनीकी और मेडिकल शिक्षा पर कुछ लिखना बेमानी है। हमारे बच्चे डिग्री लेकर भी जॉब के लिए फर्निशिंग कोर्स करते है यह बेहद अपमानजनक है। संघ का एजेंडा और उसके प्रकल्प भी असहाय है। राजस्थान हमसे बेहतर कर रहा है।
यहाँ भी शिवराज की मंशा ओर कोई शक नहीं है। पर तुगलकी मानसिकता के अधिकारियों को सुधारने के लिए शिवराज का “सर्वश्रेष्ठ”आना बाकी है।
बिजली है,रहती भी है पर बिल परेशान करते है। किसान बिल के मकड़जाल में उलझा हुआ है। आदतें आपने ही बिगाड़ी है। अब आपको ही ठीक करना है।बिजली और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आपका “सर्वश्रेष्ठ” आना अभी बाकी है।
सड़के बढ़िया है। लोक परिवहन पर भी आपका “सर्वश्रेष्ठ” आना बाकी है।
पेयजल और सिंचाई में आपका काम अच्छा है। कई निकाय काम नही कर रहे है उनके लिए भी कोई मैकेनिज्म जरूरी है।
रोजगार और उद्योग में कुछ नही हुआ है यहाँ सर्फ जबानी जमा खर्च ज्यादा हुआ है। वादे और इरादे जरूर सामने आए है उनको जमीन पर उतरना अभी बाकी है।
सरकार पर कर्ज बढ़ रहा है,राज्य के कर बहुत है पर बसूली कम है,अपवंचन ज्यादा है,कर की दरे भी ज्यादा है दायरा कम है।
जीएसटी आने के बाद कुशल वित्तीय प्रबंधन में आपका “सर्वश्रेष्ठ” आना अभी बाकी है।
सबसे खास बात आपने चुनाव तो खूब जिताए। कार्यकर्ताओं से खूब काम लिया,कार्यकर्ताओ को सत्ता में हिस्सेदारी नहीं मिल रही है। मनोनयन के अनेक पद खाली है कई आस में ही बुजुर्ग हो गए है। अब तो सत्ता के दरवाजे खोल दे यहाँ भी आपका “सर्वश्रेष्ठ”आना अभी बाकी है।
शासन प्रशासन में अफसर हावी है कतिपय चेहरे शासन का प्रतीक बने हुए है। उनका एजेंडा संघ और संगठन पर भी भारी रहता है। शिक्षा,संस्कृति,और सामाजिक आर्थिक मुद्दों पर वे भाजपा और संघ की नीतियों के इतर काम कर रहे है सब कुछ ब्यूरोकेसी के हवाले है। लोकनायक शिवराज का प्रशासक शिवराज में बदलना अभी बाकी है।
आपकी जनहितैषी योजनाऍ खूब है,लोग लाभ भी ले रहे है,आपको दुआए भी दे रहे है लेकिन इनमें अब खूब भ्रष्टाचार हो रहा है। यहाँ भी सख्ती दिखाने के लिए आपका”सर्वश्रेष्ठ”आना अभी बाकी है।
आप दर्शनशास्त्र के विद्यार्थी रहे है सब सुखी रहे,सम्पन्न रहे,निरोगी रहे की नित्य प्रार्थना करते है पर हमारे अस्पताल बीमार है,बदहाल है,दवाईयां गायब है,जांच नदारत है। डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में लगे हैं। कर्मचारी लापरवाह है। आपने खूब संसाधन दिए है पर उनका उपयोग नहीं हो रहा है। यहाँ भी आपको अपना”सर्वश्रेष्ठ” दिखाना बाकी है।
बहरहाल जन्मदिन मंगलम्,आप स्वस्थ्य,सक्रीय,दीर्घायु रहे ताकि इस मध्यप्रदेश को आपका”सर्वश्रेष्ठ” मिल सके।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline.com