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जानिए आखिर सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को क्यों लगाया बैन ?

जी बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज पर एक साल के लिए इक्विटी वायदा कारोबार करने पर रोक लगा दी। मुकेश अंबानी की कंपनी पर फ्यूचर और ऑप्शंस (एफएंडओ) कारोबार में धोखाधड़ी के दस साल पुराने मामले में यह कार्रवाई की गई है। सेबी ने कंपनी को 1,000 करोड़ रुपए अदा करने का आदेश दिया है।

रिलायंस ने कहा है कि वह इस आदेश को प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल में चुनौती देगी। रिलायंस के अलावा 12 अन्य पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। यह मामला आरआईएल की सहयोगी कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम से जुड़ा है। इस मामले में रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में एफएंडओ सेगमेंट में कारोबार करते समय कथित तौर पर धोखाधड़ी की गई थी। इसके जरिये करीब साढ़े चार सौ करोड़ रुपए का गैरकानूनी लाभ कमाया गया था। शेयर बाजार में लिस्टेड रही इस कंपनी को बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज में ही मिला दिया गया था।

आरआईएल ने इससे पहले मामले का सहमति से निपटारा करने की अर्जी दी थी, मगर सेबी ने कंपनी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। पिछले कुछ महीनों के दौरान ही इस दस साल पुराने मामले में कानूनी कार्यवाही की प्रक्रिया में तेजी आई थी।

इसी मामले में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य जी महालिंगम ने 54 पन्ने का आदेश जारी किया है। इसमें रिलायंस को गैरकानूनी ढंग से कमाई गई 447 करोड़ की मूल राशि और उस पर 29 नवंबर, 2007 से अब तक 12 प्रतिशत की दर से करीब 500 करोड़ रुपए बतौर ब्याज चुकाने को कहा गया है। इस हिसाब से कंपनी को कुल करीब 1,000 करोड़ रुपये भरने होंगे। कंपनी को यह राशि 45 दिनों के भीतर चुकानी होगी।

महालिंगम ने कहा है कि जिस तरह इतने बड़े पैमाने पर बाजारों में धोखाधड़ी वाला कारोबार किया गया है, उसे देखते हुए ही कड़ी कार्रवाई की गई है। प्रतिबंध की अन्य शिकार अन्य 12 फर्मों में गुजरात पेटकोक एंड पेट्रो प्रोडक्ट सप्लाई, आर्थिक कॉमर्शियल्स, एलपीजी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, रेलपोल प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, मोटेक सॉफ्टवेयर, दर्शन सिक्योरिटीज आदि शामिल हैं।