देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

।।विषपायी कैलाश।। (कैलाश विजयवर्गीय के जन्मदिवस पर विशेष।)

कैलाश विजयवर्गीय-बस नाम ही काफी है। उनके नाम की खुश्बू उनके काम से ज्यादा है। दो नम्बरी कहे या कृपालू कहे,या इंदौर के बेताज बादशाह कह ले,पर वे है कैलाश ही। अपने ऊपर “शिव” को बिठाए कैलाश की महत्वाकांक्षा बार बार जोर मारती है लेकिन”शिव”का राजतप उसे बार बार ठंडा कर देता है।
कैलाश यानी नंदा नगर के नेता। नंदा नगर से निकलकर पार्षद,महापौर,विधायक,मंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तक की अनवरत यात्रा,राजपथ के अथक यात्री, पर अभीष्ठ अभी बाकी है। क्या नही किया कैलाश जी ने,नंदा नगर को चमन कर दिया, इंदौर को महानगरीय पहचान दी,पार्टी का खूब काम किया। गुजरात,महाराष्ट्र,हरियाणा,राजस्थान
उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड,पश्चिम बंगाल,
दिल्ली, सब जगह कैलाश जी का काम बोलता है। राजनीति भी खूब की। साम,दाम, दंड,भेद सबमें माहिर,शासन -प्रशासन चलाने में महारथ,भाषण-गायन में लोकप्रिय।
कार्यकर्ता के नेता है कैलाश जी। शादी हो,विवाह हो,गमी हो,घर-दुकान का उद्घाटन हो,मान-कथा हो या सुंदरकांड हो कैलाश जी हाजिर।
भोपाल से तो हर शाम इंदौर में आ ही जाते थे,अब दिल्ली-कोलकाता से भी हाजिर हो जाते है।
मध्यप्रदेश का ऐसा कोई शहर,कस्बा, तहसील,टप्पा नही जहाँ कैलाश जी के लोग नही। कोई ऐसा दल नही जहाँ उनके मित्र नही। कोई ऐसा ओद्योगिक समूह नही जहाँ उनकी पहचान नही। कोई ऐसा मीडिया समूह नही जहाँ उनको जानने वाले नही।
कैलाश जी ने खूब दोस्त बनाए। उनकी कार्यशैली ने खूब समर्थक बनाए,जितने दोस्त उतने दुश्मन।
चुनोती भी खूब स्वीकार की भाई ने।
महू हो या एमपीसीसी कैलाश जी पूरे मन से लड़े।
नंदा नगर में एक स्टूल पर खड़े होकर भाषण देते देते वे स्टार प्रचारक बन गए।
सबके लिए किया,मित्रो को भी खूब दिया पहचान दी,दुश्मनों को भी गले लगाया,हमेशा दिल की सुनी। जब भी बोले सच बोले,विवाद आए और विवादित भी रहे।
कैलाश जी के लिए यह सूक्ति सटीक है” कोई हमे पसंद कर सकता है,कोई नापसंद कर सकता है,पर कोई नजरअंदाज नही कर सकता है”
बहरहाल कैलाश जी का सत्ता साकेत में आना अभी बाकी है। सत्ता के “शिव” का लोकमंथन से निकला विष सिर्फ कैलाश का कंठ ही धारण कर सकता है।
हमे भी विषपायी कैलाश का इंतजार है। जन्मदिन मंगलम्।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline