Aditya Trivediदेश

साहरनपुर जातीय हिंसा का सच , साजिश और राजनीति !!

स्पेशल रिपोर्ट समाचारलाइन |

यूपी में शांति कहा !

अभी अभी मार्च में ही तो योगी ने चुनाव जीत कर हल्ला मचा दिया था . फिर वो कानपूर रेल हादसे ने यूपी को हिला दिया था . फिर एक और रेल हादसा हुआ – मेरठ लखनऊ राज्यरानी एक्सप्रेस का पटरी से उतरना , ………… और अब सहारनपुर जातीय हिंसा . इस हिंसा को ब्रेकिंग न्यूज़ की संज्ञा दी जा रही है पर सही मायने में इसने भारत की सांप्रदायिक एकता को तोड़(ब्रेक) कर रख दिया है . इस हिंसा को कई संज्ञाएँ दी जा सकती है – जैसे – ब्रेकिंग न्यूज़ , सहारनपुर जातीय हिंसा , दलित बनाम ठाकुर , योगी शासन बदनाम …….. इत्यादि पर यह हिंसक क्रिया निंदनीय है .

जब मानव राक्षस रूप धारण कर लेते है तब ऐसी हिंसा होती है !

आखिर सहारनपुर के लोग इतने आक्रामक क्यों हो रहे है , क्यों वो ‘अपने’ ही लोगों पर हमला कर रहे है , हिंसा भड़क रही है , लोग घायल हो रहे है , घर जलाए जा रहे है , हालात असामान्य है ?

दलित को फिर मुद्दा बनाया जा रहा है . इस बार चुनावी मुद्दा नही . इस हिंसा का मुद्दा ही दलित है .

यह हिंसा तथाकथित उच्च जाति और नीच जाति के बीच हिंसा है . ठाकरों और दलितों के बीच हिंसक भिड़ंत है . दलित बस्तियों पर हमले किये गये  . तलवारों से हमें किये गये . महिलाओं और बच्चों पर भी अत्याचार किये गये . 5 मई से रोजाना मृतकों की संख्या बढती जा रही है . आक्रामकता मानवता पर हावी हो रही है . जातीयता धर्मनिरपेक्षता पर जीत हासिल कर चुकी है . मृतकों के चित्र देखें नही जा सकते . हमलावर भी मुंह छुपाकर हमला करते है . आतंक मचा हुआ है .

आज के युग में भी जातीयता हावी हो रही है और धर्म-जाति के नाम पर हैवानियत दर्शायी जा रही है . युवाओं को भी इस हिंसा में झोंक दिया गया है . कईओं ने अपने प्राण गँवा दिए . पढाई छोड़ कर लड़ाई कर रहे है .

डीजे बजाने से विरोध और अम्बेडकर के खिलाफ लगाये गये नारों ने इस हिंसा की नीव रखी तो राजनीतिक हस्तक्षेप और फंडिंग ने इसे और भड़का दिया . इसको रोकना अति आवश्यक है . प्रशासन और पुलिस को सामंजस्य से काम करना ही होगा . योगी को अपनी इमेज बचाने के लिए इस हिंसा को विराम देना ही होगा .

क्या यह योगी सरकार को बदनाम करने की राजनैतिक साजिश है ?

95-yogi-saharanpur_5

सहारनपुर हिंसा पर सियासत गरमा रही है . मार्मिक घटनाओं पर भी राजनीति करना हमारे नेता अच्छी तरह जानते है . इस हिंसा में राजनैतिक फंडिंग की भी बात सामने आ रही है . योगी आदित्यनाथ के चमकते करियर पर धूल झोंकने की यह हिंसक साजिश है . इससे योगी सरकार बदनाम हो रही है . योगी की इमेज ख़राब हो रही है . कानून व्यवस्था और सरकार पर सवाल उठाये जा रहे है . कोई भी मामूली हिंसा एक बड़ी हिंसा तब तक नहीं बन सकती जब तक उसमें समाज के प्रभावशाली लोगों या नेताओं का हाथ न हो . सहारनपुर हिंसा इसी का उदाहरण है . यूपी की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की ज़मीन खिसकने का भी यह परिणाम हो सकता है . मायावती और राहुल गाँधी का दौरा इसी का प्रतीक है . दलित वोटों को खो चुकी यह दोनों पार्टियाँ सहारनपुर में हिंसा भड़काकर कहीं दलितों का विश्वास तो नहीं जीतना चाहती ? क्या ये दोनों पार्टियाँ जातीयता से खेलकर चुनाव जीतना चाहती है ? क्या वे फूट डाल कर राज करना चाहती है ? या फिर ये वे योगी को बदनाम करने के लिए कर रहे है ?

सहारनपुर पर ताज़ा खबर –

सहारनपुर में जातीय हिंसा के आरोपी चंद्रशेखर उर्फ रावण की भीम आर्मी को विभिन्न दलों के नेताओं के अलावा हवाला के जरिये भी फंडिंग की गई. पिछले दो महीने में भीम आर्मी के एकाउंट में एकाएक 40-50 लाख रुपये ट्रांसफर हुए हैं . सूत्रों के मुताबिक़ , द्रशेखर रावण को कुछ सियासी दलों से प्रोत्साहन मिल रहा था। बसपा के साथ कांग्रेस के छह नेताओं की भूमिका की भी जांच हो रही है .
जांच में स्पष्ट हुआ कि दो महीने पहले सहारनपुर की फिजा में नफरत का जहर घोलने की साजिश रची गई .  जांच रिपोर्ट के मुताबिक, भीम आर्मी को आर्थिक मदद दिलाने में देहरादून के एक बैंक अधिकारी की भी अहम भूमिका है . सूत्रों के अनुसार, भीम आर्मी के कार्यकर्ता पथराव के वक्त कपड़ा बांधकर पहचान छिपाते हैं .  यह उन्होंने कश्मीर की घटनाओं से सीखा है .  नौ मई को भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने इसी तरह से सहारनपुर में आठ स्थानों पर पुलिस पर पथराव किया था .

आदित्य त्रिवेदी @ समाचारलाइन

(आप अपनी प्रतिक्रिया 8120889800 पर दे सकते है . )