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एक राष्ट्र एक परिचय ! स्वर्णिम भारत की कल्पना …….

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चाहें वो स्कूल हो , कॉलेज , सरकारी दफ़्तर या फिर कोई राष्ट्रीय संस्थान . हर जगह आपके प्रवेश से पहले आपकी परछाई रुपी “जाति” के प्रवेश का “प्रावधान” है . जातिवाद ने इस देश को अलग अलग हिस्सों में बाँट दिया है . भारत को एक सूत्र में बाँधने के लिए इस जातिवाद के विवाद को बढ़ने से रोकना होगा .

जातिवाद : पारंपरिक समस्या

भारत में कई समस्याएं है . कई समस्याएं आधुनिक है परन्तु जातिवाद शताब्दियों से चली आ रही समस्या है – या यूं कह लीजिये पारंपरिक समस्या है . राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है अगर पूरा देश आवाज़ उठाये . समय किसके पास है ? देखा जाए तो जाति-धर्म पर अपनी विशेष टिपण्णी देने के लिए तो हर किसी के पास समय है . उच्च जाति के लोग निचली जाति को कोसते है एवं उन्हें मिल रहे ‘आरक्षण’ के लाभ की निंदा करते है . “कुछ न कर सकने वाले लोग निंदा ही कर सकते है ” . वहीँ , निचली जाति के लोग उच्च कुल को कोसते है क्योंकि उच्च जाति के लोग उन्हें नीचा दिखने की कोशिश करते है एवं उनका ‘सामाजिक बहिष्कार ‘ करते है .

अगर संपूर्ण राष्ट्र जातिवाद के खिलाफ आवाज़ उठाता है तो यह फैसला राष्ट्र-हित में होगा . जाति हमारे मन में भेदभाव एवं पूर्वाग्रह पैदा करती है . जाति का किसी के कौशल से यकीनन कोई लेना-देना नहीं है .

 

वोट बैंक की राजनीति

या तो हम नेताओं के काम पर हँसे या अच्छे नेताओं को वोट दे ? दूसरा विकल्प कुछ अच्छा है . हम राजनेताओं को हर बुराई के लिए कोसते है , पर क्या हम हमारी ज़िम्मेदारी समझ रहे है . भारत में ‘ध्रुवीकरण’ की राजनीति निश्चित ही होती है . पर समय आधुनिक हो गया है , जीवन शैली आधुनिक हो गयी है . इस आधुनिक संसार में रूढ़ता का संकेत – जातिवाद के लिए जगह कहाँ है ?

भारतीय राजनीति में नेता जाति के आधार पर वोट ज़रूर मांगते हो , पर उन्हें वोट देता कौन है ? हम लोग .

अगर हम लोग परंपरानुसार अपने आपको जाति के आधार पर बाँट लेंगे तो समाज में एकता कैसे रहेगी ? भारतवासियों को एक सूत्र में कैसे बांधा जाएगा ? इस जाति आधारित मतदान व्यवस्था को खत्म कीजिये एवं राष्ट्रहित हेतु अपने मतदान का विवेकानुसार उपयोग करे . क्योंकि चुनाव जीतने के बाद चयनित प्रतिनिधि किसी विशेष जाति/धर्म/वर्ग का प्रतिनिधि नहीं होता बल्कि पूरे शहर/राज्य/देश का प्रतिनिधि होता है . 

अपने निजी स्वार्थों को भूलकर देशहित में मतदान कर जातिवाद को ख़त्म किया जा सकता है !

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सरकार क्या कर रही है ?

व्यक्ति का कौशल जानने से पहले सरकार उससे उसका जाति प्रमाण पत्र मांगती है ? ऐसा क्यों ? क्योंकि हमारे देश में व्याप्त “आरक्षण नीति ” ने सरकार के हाथ बाँध रखे है . आरक्षण नीति जातिवाद को बढ़ावा देती है , यह आवश्यकता के अनुसार आरक्षण नहीं अपितु जाति के अनुसार आरक्षण है . आप जाति के आधार पर कैसे बता सकते हो कि किस व्यक्ति को आर्थिक लाभ की आवश्यकता है या नही .

क्या केवल निचली जातियों के लोग ही गरीब होते है . आज के ज़माने में वे भी अमीर है . क्या उच्च कुल के लोग ही अमीर होते है या अवसरवादी होते है ? क्या आरक्षण नीतिकारों ने गरीब ब्राह्मण परिवार नहीं देखे ?

अतः आज की आरक्षण नीति सर्वथा उचित नहीं है . संविधान का अनुच्छेद 16 जाति , धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव को रोकता है . और यह आरक्षण नीति उसे बढ़ावा देती है .

आरक्षण की ज़रुरत फिर किसे है ? मेरे विचार से , वे परिवार जो कि गरीबी के दलदल में फंसकर अपने जीवन में अवसरों को खो देते है या सामाजिक रूप से बहिष्कृत किये जाते है या जो देश के पिछड़े इलाकों में रहते है , उन्हें आरक्षण की ज़रुरत है , भले ही वे किसी भी जाति या धर्म के हो ! और तो और आरक्षण का लाभ एक बार एक परिवार को ही मिलना चाहिए .

तभी तो ये देश सही मायनों में समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष बन पायेगा .

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एक राष्ट्र एक परिचय !

हाल ही में भारत एक राजनीतिक इकाई से आर्थिक इकाई बना है . जीएसटी ने भारत को #एक राष्ट्र एक कर का नया गौरव प्रदान किया है .

उसी प्रकार हम भारत को #एक राष्ट्र एक परिचय का गौरव प्रदान करने का संकल्प ले . यह परिचय जाति , धर्म के आधार पर नहीं बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष एवं राष्ट्रभक्त ” भारतीय ” के रूप में होना चाहिए . जाति पर आपका अधिकार है , पर यह आपका निजी विषय है . आप निश्चित ही आपकी जाति/धर्म में बताएं गए रीति-रिवाज़ का पालन कर सकते है परन्तु देश को आपकी जाति से कोई मतलब नहीं है . जाति आपका निजी विषय है , राष्ट्रीय विषय नही .जाति का महत्व कानूनन न होकर सामाजिक होना चाहिए .

हमें अन्य जातियों का भी सम्मान करना चाहिए एवं हमें हमारे मन में किसी जाति विशेष से जुड़े पूर्वाग्रह निकाल देना चाहिए और एक स्वर्णिम भारत के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए .

अगर इस देश को एक माला में पिरोना है तो इस देश को जातिवाद से मुक्त करना अत्यंत आवश्यक है . जातिवाद के विरोध में क़ानून बनना चाहिए एवं एक राष्ट्र एक परिचय का नारा लेकर हमें चलना चाहिए .

आखिर हमें ही भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनाना है !

जय हिन्द !

आदित्य त्रिवेदी

न्यूज़ एडिटर @ समाचार लाइन