देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

सिंधिया की “किसान नेता” की छवि से भाजपा सकते में।

नई दिल्ली। कांग्रेस ने भले ही अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश में अपना अधिकृत चेहरा घोषित नही किया हो, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद को किसान हितेषी नेता सिद्ध करने के लिए आज लोकसभा में नियम 193 के तहत चर्चा में मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान हुई 6 किसानों की हत्या के मामले को पुरजोर तरीके से उठाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार को सिंधिया ने तथ्यों के आलोक में खूब कोसा। अपनी लाजबाब शैली और तथ्यपरक भाषण से सिंधिया ने सदन का ध्यान पूरे समय अपनी और खीच कर रखा।
तथ्य,आकड़े और भावुकता का मिश्रण था सिंधिया का उदबोधन। सिंधिया ने शेर शायरी का भी मौजू उपयोग किया।
सिंधिया के उदबोधन की समाप्ति पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आसंदी से कहा कि युवाओं को ऐसे ही लड़ाई लड़नी चाहिए।
भाजपा के सांसद गणेश सिंह और राकेश सिंह से सिंधिया की खूब नोकझोंक हुई। उतरप्रदेश के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के उदबोधन पर भी सिंधिया और दीपेंद्र हुड्डा ने जमकर आपत्ति दर्ज कराई।
मध्यप्रदेश में मंदसौर किसान गोलीकांड को सिंधिया ने बहुत ही भावुकता से उठाया।
पुलिस की गोली से मारे गए एक एक किसान का नाम लिया। उनके परिवार की स्थिति बयान की,प्रदेश में हो रही किसानों की आत्महत्याओं को उकेरा और मुख्यमंत्री के उपवास की खिल्ली उड़ाई।
सदन में बैठे केंद्रीय मंत्री अनन्त कुमार और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने सिंधिया पर गलतबयानी और सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया।
सिंधिया आज लोकसभा में यह साबित करने में सफल रहे की वे किसानों के हमदर्द नेता है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किसान विरोधी साबित करने में कोई कसर नही छोड़ी।
बहरहाल सिंधिया की परिपक्वता और उनकी लोकप्रिय छवि के सहारे कांग्रेस मध्यप्रदेश में भाजपा का कितना मुकाबला कर पायेगी यह तो भविष्य का प्रश्न है,किंतु कांग्रेस उन्हें कब अपना अधिकृत चेहरा बनायेगी यह प्रश्न दस जनपथ और अकबर रोड पर उत्तर तलाश रहा है।
प्रकाश त्रिवेदी@samachrline