देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

संघ की बैठक में राम, रोजगार,किसान और व्यापार पर मंथन।

भोपाल।अयोध्या में राम,हर हाथ को काम, किसानों को मिले फसल का दाम,महँगाई पर लगाम।
संघ को कराना है दो साल में सरकार से यह काम।
यह महज तुकबंदी नहीं है वरन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारणी मंडल की बैठक का एजेंडा है।
संघ की व्यवस्था की दृष्टि से 42 प्रान्तों और 11 क्षेत्रों से जो फ़ीडबैक सरकार और भाजपा को लेकर आया है,संघ में आधार वोटबैंक के खिसकने की चिता तारी हो गई है।
नोटबंदी फिर जीएसटी और महंगाई ने मध्यवर्ग, छोटे व्यापारी,लघु उद्योगों और किसानों को नाराज कर दिया है। नाराजगी इतनी गहरी है कि संघ के जिला प्रचारकों और विस्तारकों तक को इसकी तपन महसूस होने लगी है। लिहाजा जो प्रतिवेदन प्रांत और क्षेत्रों से आए है उनमें सविस्तार इस नाराजगी का जिक्र है।
संघ के एजेंडे के अनुरूप समाज और सरकार के संबंधों में जो निकटता दिखाई दी जानी चाहिए थी,उसके स्थान पर नाराजगी,आलोचना और निराशा दिख रही है।
संघ की चिंताओं में हिन्दू समाज के प्रश्न भी है,राम मंदिर को लेकर संघ की निष्ठा पर सवाल होने लगे है,यद्धपि मामला अदालत मैं है फिर भी अयोध्या में राम नाम की हलचल होना जरूरी है।
संघ की मंशा के अनुरूप उत्तरप्रदेश सरकार अयोध्या में दिवाली मनाने जा रही है। विश्व हिंदू परिषद को हिन्दू समाज जीवन मे और ज्यादा सक्रिय होने को कहा गया है। गाय, गंगा,और गायत्री को लेकर नए कार्यक्रम शुरू किए जाने वाले है। परिवार,संस्कार और विचार पर केंद्रित अभियान भी चलने वाले है।
सामजिक समरसता पर खास जोर रहने वाला है,वनवासी,आदिवासी और वंचित वर्ग में संघ के काम मे खूब बढ़ोतरी हुई है। इस गति को वैचारिक आग्रह के साथ बढ़ाने की बात कही गई है।
शिक्षा के क्षेत्र में राज्य और केंद्र सरकार के कामकाज से संघ खुश नही है। संस्कार,संस्कृति और हिंदुत्व के साथ साथ कौशल विकास को पाठ्यक्रम में शामिल कराने के लिए विद्या भारती के प्रयासों को कमतर माना गया है। स्कूली पाठ्यक्रम को लेकर सरकार और विद्या भारती में समन्वय का अभाव है। संघ राजस्थान मॉडल के अनुसार स्कूली शिक्षा में आधारभूत बदलाव तत्काल चाहता है।
उच्च शिक्षा को लेकर भी संघ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की भूमिका से आश्वस्त नही है। विश्वविद्यालयों के केम्पस में वैचारिक जमावट कमजोर लग रही है। कुलपतियों की नियुक्तियों में आग्रह दुराग्रह वैचारिक निष्ठा पर भारी पड़ रहे हैं।
संघ की चिंता हैं कि केम्पस से न नेतृत्व निकल रहा हैं और न ही विचार अनुकूल विद्यार्थी।
संघ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से उच्च शिक्षा में विचार,संस्कार,और रोजगार पर ज्यादा जोर देने को कहा है।
संघ की चिंताओं के केंद में किसान भी है। किसानों की देशव्यापी नाराजगी को संघ किसान संघ के माध्यम से नाप तोल रहा है। फसल बीमा,खेती की लागत, समर्थन मूल्य,बिजली और बिजली बिल की समस्या,खाद बीज,फसलों के विपणन की समस्या से संघ अवगत है। किसान संघ,भाजपा का किसान मोर्चा ओर सरकार को एक ऐसा मैकेनिज्म बनाने को कहा गया है जो निरंतर किसानों की समस्याओं पर नजर रखे और उनका तत्काल निराकरण सभी स्तरों पर कराए।
महँगाई पर लगाम लगाने के लिए जरूरी जिंसों के मूल्यों पर नियंत्रण प्रणाली बनाने को कहा गया है। रोटी और रोजगार ,किसान और व्यापार,शिक्षा और सरकार संघ की चिंताओं और चिंतन के केंद्र में है।
भोपाल में चल रही कार्यकारणी मण्डल की बैठक में उक्त सभी विषयों के अतिरिक्त परम्परा अनुसार संघ कार्य की भी समीक्षा होगी।
संघ एवं अनुषांगिक संगठनों में दायित्व बदलाव पर भी चर्चा होगी।
बहरहाल वृंदावन बैठक के अनन्तर भोपाल में सिर्फ चेतावनी नही दी जाएगी वरन लक्ष्य अनुरूप कामकाज न होने पर सजा भी मुकर्रर कर दी जाएगी।
मोदी जी,अमित शाह,शिवराज,रमन सिंह,वसुंधरा, विजय रूपाणी,देवेंद्र फड़नवीस, राजनाथ, योगी,खट्टर,और जेटली जी की सीआर इस बैठक में हुए निर्णय के परिपालन से तय होगी।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline.com