धर्मं/ज्योतिषहोम

भाई दूज (कार्तिक शुक्ल द्वितीय)

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाए जाने के कारण इसे भैया दूज कहा गया| इस दिन को यम द्वितीय भी कहते हैं| इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमी (यमुना) के घर बहुत समय बाद पधारे थे| तब यमी ने प्रसन्न हृदय से यम की आवाभगत की थी| फलस्वरूप यम ने अपनी बहन यमी को यह वरदान दिया- ‘आज के दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा, उस भाई को आगे हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी| उसके धन और स्वास्थ में वृद्धि होगी|’

इस दिन से जुड़ी ऐसी कई किवदन्तियाँ हैं| लेकिन सभी मुख्य रूप से हमारी प्राचीन संस्कृति के एक दर्शन को आगे रख रही हैं| वह है – नर और नारी की समानता का| जहाँ एक और रक्षा-बंधन के पर्व पर बहन अपनी रक्षा के लिए भाई पर आश्रित दिखती है, वहीं भाई दूज पर बहन अपनी भावनाओं, संवेदनाओं और आध्यात्मिक पुंज के बल पर भाई का सुरक्षा कवच बनती है| यह पर्व नारी को शक्तिस्वरूपा के रूप में प्रकट करता है|