My Blogsदेश

युद्ध अभी टला नहीं !! (राजपाल सिंह राठोड़ का आलेख )

लेख समाचारलाइन |

कुछ समय पहले हमने अखबारों और टीवी के माध्यम से ये जाना की भारत राजनैतिक दृढ़ता और चतुर कूटनीति  के चलते डोकलाम विवाद को सुलझाने में सफल रहा.

पूरा भारत देश इस बात पर गर्व कर रहा था कि पिछले लगभग 3 दशकों से भारत हमेशा चीन को ये कहता रहा है कि हमारी भूमि से अपने क्षेत्र में जाओ. परन्तु भारत-चीन के इतने लम्बे इतिहास में पहली बार चीन ने भारत से कहा की हमारे क्षेत्र से अपनी सेना हटाओ.

आज का भारत सधा हुआ हैं. पहले से कहीं अधिक मजबूत और आत्मविश्वासी, दुनिया को नया रास्ता दिखाने को छटपटाहट से भरा हुआ.

भारतवर्ष, जिसकी सीमायें हिमालय से लेकर समुद्रपर्यंत फैली है. और अगर अखंड भारत की बात करे तो गांधार से लेकर कामरूप और कैलाश से लेकर कन्याकुमारी तक जो आर्यावर्त्त एक समय फैला था उसका खंडित होना आज भी भारतमाता के सपूतों के ह्रदयों को द्रवित करता हैं.

हमे स्वतंत्रता के बाद अखंड भारत तो नहीं मिला परन्तु जितना भारत मिला उसकी सुरक्षा अब हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी बनती हैं और साथ ही अखंड भारत के विचार को जीवित रखना हम सबका दायित्व.

अगर हम आंकलन करे तो हाल ही में भारत और जापान के बीच रिश्ते मजबूत हुए और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भारत आ कर कहा की जापान भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भी आधारभूत संरचना को बढ़ाने में सहायता करेगा. इस आधिकारिक वक्तव्य के तुरंत बाद चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चीन ‘‘विवादित क्षेत्रों’’ में किसी भी विदेशी निवेश का विरोध करता है.

हमे यह नहीं भूलना चाहिये कि चीनी मीडिया ने डोकलाम विवाद को भी अपने नागरिकों के सामने इस तरह से रखा था कि विवाद में समझौता भारत को ही करना पड़ा. चीन इस बात को कभी पचा नहीं सकता कि भारत से उसे मुंह की खानी पड़े. इसी कारण अपनी जनता को भ्रमित भी करता रहता हैं. यह उनकी स्टेट पोलिसी  है.

आज तो डोकलाम मुद्दे का हल निकल गया परन्तु भविष्य में ऐसे कई डोकलाम होंगे जंहा फिर से भारत की सेना के सामने चीनी सेना आ कर खड़ी होगी.

तब भारत को आज की सामरिक स्थिति से और ज्यादा मजबूत होना पड़ेगा. और जितना बाह्य रूप से मजबूत हो उतना ही अन्दर भी अपना देश मजबूत हो ऐसा प्रयास हम सबको मिलकर करना होगा.

चीन नेपाल से और ज्यादा नजदीकियाँ बढ़ा रहा हैं. श्रीलंका में उसकी पनडुब्बी पहले ही गश्त लगा चुकी थी. बांग्लादेश को वह बहुत आर्थिक मदद दे रहा है. म्यांमार के शासन से चीन के पहले ही संबंध अच्छे हैं.

इस बात को याद रखियेगा की ड्रैगन वापस आएगा और अगली बार ज्यादा ताकत से वार करेगा. उसके पहले हमे तैयारी करनी हैं. जिम्मेदार नागरिक की भांति अपने देश को मजबूत करने के लिये हमे चीन में बने सामानो का बहिष्कार करना होगा. याद रखिये अपने द्वारा की गयी छोटी-छोटी गलतिया किसी दिन भारतमाता के ललाट को कलंकित न कर दे.

जब श्री राम लंका विजय करते है और वापस अयोध्या की तैयारी होती है तब लक्ष्मण जी भगवान राम से कहते है की स्वर्णमयी लंका बहुत सुन्दर हैं. तब श्री राम कहते है कि,

अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते,
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

अर्थात – हे लक्ष्मण! सोने की लंका मुझे अच्छी नहीं लगती, माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़ कर है.

यही अर्थ हमें समझना है. मातृभूमि को सुदृढ़ बनाने के लिए समय और परिस्थितियां बदल गयी हैं और अब हमे चीन से बहुत ज्यादा खतरा हैं. हमे उस खतरे को भाँपते हुए अभी से तैयारी करनी होगी. तैयारी इतनी आसान है कि बस चीन में बनी हुई वस्तुयें जैसे त्योहारों के समय विद्युत (लाइट) झालरे, चीन के खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सस्ता दिखने वाला ऐसा कोई भी सामान जो की चीन में बना हो, उसे हमे नहीं खरीदना हैं और दुकानदार को भी मना करना हे की केवल भारत में बनी हुई वस्तुयें रखे.

1962 में हमने खतरे को महसूस नहीं किया था और उसका परिणाम अक्साई-चीन के रूप मे हमारे सामने है. परन्तु भविष्य में भारत की धारित्री फिर से खंडित ना हो उसके लिए हमे अपने कर्तव्य का बोध होना जरुरी हैं.

और इतिहास साक्षी है इस बात का कि जिस राष्ट्र के जनमानस में कर्त्व्यबोध हो उस राष्ट्र को दुनिया की कोई ताकत डिगा नहीं सकती.

खुद से पहले राष्ट्र और राष्ट्र प्रथम का भाव अपने और अपने बच्चों के मन में हमे भरना होगा तभी भारत भूमि अपने परम वैभव को प्राप्त करेगी.

Boy running with indian flag

राष्ट्रप्रेम से बड़ा कोई रस नहीं और देशधर्म से बड़ा कोई पुनीत कार्य नहीं. हमे अपने राष्ट्रप्रेम के रस में डूब कर छोटी सी कोशिश चीन के विरुद्ध करनी होगी.

जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं. उसका कर्ज हमे चुकाना हैं और वो कर्ज हम चूका सकते है अपनी जिम्मेदारी को समझ कर. चीन को आगे भी धुल चटाना है ताकि वो माँ भारती की तरफ आँख उठा कर देख न पाए, तो हमे माँ भारती के सच्चे सपूतों की भांति यह कार्य करना ही होगा.

खुद भी सचेत रहे और ये प्रयत्न करे की कम से कम पाँच लोगो को चीन के सामान के बहिष्कार के लिए शपथ दिलाये. दो रुपये, पाँच रुपये और दस रुपये ज्यादा दे कर भारत में बने हुए सामान खरीदने से हम गरीब तो नहीं होंगे अपितु भारत सुरक्षित हो जायेगा.

ले शपथ हम चले परम वैभव दिलाने की……..

इसी भावना के साथ जय हिन्द, जय भारत.  

  • राजपाल सिंह राठोड़
  • (संयोजक, यंग लीडर्स कॉन्क्लेव , मध्य प्रदेश )