देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेशशहडोल

नर्सिंग कॉलेजो को फिजिबिलिटी प्रमाणपत्र देने में बंदरबाट।

भोपाल। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय और जिला प्रशासन की मिलीभगत से प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजो को डिजायरिबिलिटी एवं फिजिबिलिटी प्रमाणपत्र जारी करने में बंदरबाट की जा रही है। तयशुदा मापदंडो की अनदेखी कर थोक में नर्सिंग कॉलेजो को उक्त प्रमाणपत्र जारी किए जाने की ख़बर है।

गौरतलब है प्रदेश में तकरीबन 150 नर्सिंग कॉलेज है। कॉलेज संचालक नियमों की खिल्ली उड़ाकर राज्य सरकार से प्रमाणपत्र ले रहे है।
जानकर सूत्रों के अनुसार प्रमाणपत्र जारी करने के पूर्व कॉलेज का मौका मुआयना चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारी और जिले के कलेक्टर द्वारा नामित प्रशासनिक अधिकारी द्वारा किया जाता है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्र बताते है कि अधिकांश कॉलेज तयशुदा मापदंडो का पालन नही कर रहे हैं। कई किराये के भवन में चल रहे है।
जानकारों के अनुसार 100 बिस्तर वाले अस्पताल के साथ संबद्धता के नियम का भी मख़ौल उड़ाया जा रहा है।
कॉलेज संचालक जनजातीय क्षेत्रों में नियमों की शिथिलता का भी भरपूर लाभ उठा रहे है।
धार,झाबुआ,खण्डवा, खरगोन,होशंगाबाद, श्योपुर, अनूपपुर, मण्डला, शहडोल,में कॉलेजों को परमिशन देने में भारी अनियमितताओं की ख़बर है।
दो दो कमरों में कॉलेज खोले जा रहे है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह भले ही कौशल विकास की बात करे पर इन नर्सिंग कॉलेजो में फेकल्टी और मापदंडो के अनुरूप लेब की कमी हैं। यहाँ से पासआउट बच्चे ठीक से इंजेक्शन भी नही लगा पा रहे है।
बहरहाल नर्सिंग कॉलेजो को प्रमाणपत्र देने में की जा रही बंदरबाट की उच्च स्तर पर जांच होना जरूरी है।
यह भी देखना जरूरी है कि भारतीय नर्सिंग परिषद के मापदंडों का अधोसंरचना में पालन हो रहा है या नही।
शैक्षणिक स्टाफ का भी भौतिक सत्यापन होना जरूरी है। कई लोग जो अहर्ताएं पूर्ण करते है वे एक साथ कई कॉलेजो में हेड काउंटिंग स्टाफ के रूप में काम कर रहे है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को नर्सिंग कॉलेजो को लेकर हो रही अनियमितताओं पर गंभीरता से ध्यान देना होगा।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline.com