उज्जैनदेवासदेशमध्य प्रदेश

पुलिस महकमे में विवेचना अधिकारियों का टोटा ,कानून व्यवस्था हो रही प्रभावित

कानून व्यवस्था हो रही प्रभावित
पुलिस महकमे में विवेचना अधिकारियों का टोटा
देवास। देवास जिले सहित पूरे रेंज के अपराधों का लेखा-जोखा भी आ चुका होगा। हत्या, हत्या का प्रयास, चोरी डकैती से लेकर महिला संबंधी अपराधों में जनवरी अगस्त 17 तक की स्थिति में पिछले साल के मुकाबले कुछ ज्यादा ही अपराध दर्ज हुए होंगे लेकिन इसकी जांच के लिए विवेचना अधिकारियों की कमी बनी हुई है। इनमें सबसे ज्यादा खराब स्थिति हेड कॉन्स्टेबल एवं एसआई, एएसआई के पदों की है। स्वीकृति के मान से ही इसमें अभी भी कई प्रतिशत पद खाली हैं। इस समय शहर में पांच पुलिस थानों में से दो थानों पर जिसमें औद्योगिक एवं नाहर दरवाजा थाने पर एस.आई के जिम्मे है इसके अलावा जिले में कई थानों एवं चौकियों में एसआई, एएसआई व हेड कांस्टेबल के पद खाली पड़े हुए हैं। इस वजह से कानून व्यवस्था खासी प्रभावित हो रही है। खास बात यह है कि यह पद लंबे समय से रिक्त पड़े हुए इन पर अभी तक नियुक्तियां नहीं हो सकी है। जिसके कारण इस समय पुलिस महकमा विवेचना अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है। इस वजह से कई मामलों की विवेचना समय से नहीं हो पा रही है। इस वर्ष जिले के थानों पर कई मामले दर्ज किए गए हैं लेकिन उनकी विवेचना अधिकारियों के नहीं होने से पूरी होने में समस्याएं उत्पन्न हो रही है।
इतने पद रिक्त
वैसे तो जिले में 24 से अधिक थानेदार के पद हैं जिसमें से कुछ स्थानों पर तो एसआई को प्रभार देकर कार्य करवाया जा रहा है। वहीं शहर सहित जिले में 50 से अधिक एसआई एवं एएसआई के पद रिक्त पड़े इसके अलावा 80 हेड कांस्टेबल और इतने ही आरक्षकों के पद भी रिक्त हैं। वहीं 123 कांस्टेबल वर्तमान में ट्रेनिंग पर हैं जो कुछ समय बाद थानों पर आमद देंगे लेकिन अपराधों का बढ़ता ग्राफ इन विवेचना अधिकारियों की कमी से पेंडिंग मामलों का ग्राफ भी बढ़ाता जा रहा है।
सीधे नियुक्ति नहीं की जा सकती
नियुक्ति को लेकर जब पुलिस महकमे के कुछ अधिकारियों से चर्चा की गई तो बताया कि एएसआई और हवलदार जैसे कुछ पद पर सीधी नियुक्ति नहीं की जा सकती। अधिकारियों की कमी से कई प्रकरणों की जांच सही तरीके से नहीं हो पा रही है जिसका फायदा अपराधियों को कोर्ट से मिल रहा है। एक-एक जांच अधिकारी के पास 25 -30 से ज्यादा प्रकरण हैं जिसके चलते कई प्रकरणों के चालान पेश नहीं हो पा रहे हैं।
मजबूरन काम ले रहे हैं
राज्य सरकार की अराजपत्रित अधिकारी-कर्मचारियों को जातिगत आधार पर प्रमोशन देने की पॉलिसी थी जिस पर पिछले साल हाई कोर्ट से बैन लग गया। यह केस सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है जिसका असर कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है इससे कई पद लगातार खाली हो रहे हैं। कई थानों में हम मजबूरन ऐसे ही काम ले रहे हैं क्योंकि कमी बनी हुई है। स्टॉफ की कमी की जानकारी हर माह शासन को भेजी जा रही है।
एडिशनल एसपी अनिल पाटीदार