प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

शंकराचार्य के बहाने ब्राह्मणों को साधने की कवायद ।

भोपाल।
मध्यप्रदेश सरकार श्री क्षेत्र ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 108 फ़ीट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित करने जा रही है। प्रतिमा के लिए प्रदेश के चार स्थानों उज्जैन,ओंकारेश्वर, पचमठा(रीवा),और अमरकंटक से धातु संग्रहण हेतु एकात्म यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। इस यात्रा को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शंकराचार्य के बहाने ब्राह्मणों को साधने की कवायद माना जा रहा है।
यह जानना भी जरूरी है कि चारों यात्राएं 19 दिसम्बर से शुरू होंगी और ओंकारेश्वर में 22 जनवरी को पहुंचेगी। 22 जनवरी को ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थल पर भूमिपूजन तथा शिलान्यास का कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सहित वरिष्ठ भाजपा नेता, संत एवं आचार्यगण शामिल होंगे।
चारों यात्राएं प्रदेश के सभी 51 जिलों में भ्रमण कर जनसंवाद,धर्म सभाओं,आदि के माध्यम से वेदांत दर्शन का प्रचार करेंगी और प्रतिमा के धातु संग्रह भी करेंगी।
गौरतलब है कि प्रदेश में ब्राह्मण समाज अरसे से अपनी राजनीतिक उपेक्षा से नाराज चल रहा है। सरकार और संगठन में ब्राह्मणों की भागीदारी सीमित है। भाजपा की जिला इकाइयों में भी ब्राह्मण समाज की हिस्सेदारी अनुपातिक रूप से काफी कम है।
लंबे अरसे से ब्राह्मण समाज की नाराजगी को महसूस करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पहले मंदिरों की जमीन के अधिकार पुजारियों को दिए और फिर ब्राह्मण स्वाभिमान के प्रतीक आदि शंकराचार्य पर फोकस कर उनके दर्शन को जन मानस तक पहुंचाने का उपक्रम शुरू किया। 1 मई 2017 को शंकराचार्य प्रकटोत्सव प्रदेश के सभी 51 जिलों में मनाया गया।
इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने खास खनिज निगम के अध्यक्ष शिव चौबे और वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा के फीडबैक के आधार पर एकात्म यात्रा की रूपरेखा बनाई और सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा हेतु सरकारी सहायता की योजना शुरू की।
भाजपा में डॉ. लक्ष्मी नारायण पाण्डेय, कैलाश जोशी,नारायण शेजवलकर, श्री वल्लभ शर्मा,रघुनंदन शर्मा के बाद ब्राह्मण नेतृत्व नेपथ्य में चला गया है।
हालांकि गोपाल भार्गव,नरोत्तम मिश्रा दीपक जोशी,अर्चना चिटनीस जैसे ब्राह्मण मंत्री है,लेकिन सर्वमान्य ब्राह्मण नेतृत्व के अभाव में सत्ता और संगठन में समाज की भागीदारी कमतर ही रही है।
बहरहाल वेद,वेदांत,और संस्कृत साहित्य के प्रचार प्रसार के अनन्तर आदि शंकराचार्य की 108 फ़ीट ऊंची प्रतिमा नर्मदा तट पर ओंकारेश्वर में स्थापित होने से निश्चित रूप से ब्राह्मण स्वयं को गौरवान्वित महसूस करेंगे।
इसी गौरव भाव को वोटबैंक में बदलने ले लिए जन अभियान परिषद और संस्कृति विभाग मनोयोग से लगा हुआ है। देखना है गुजरात ने सरदार पटेल की प्रतिमा के बरक्स आदि शंकराचार्य की प्रतिमा भाजपा के लिए कितनी फलदायी साबित होती है।
प्रकाश त्रिवेदी @ samacharline.com