Aditya TrivediMy Blogsदेश

एक विचार लो और उस विचार को अपना जीवन बना लो : स्वामी विवेकानंद

 

मेरे विचार से ब्रह्माण्ड में विचार को अमरत्व प्राप्त है| एक अच्छा विचार आत्मा की तरह अविनाशी है, झरने की तरह प्रवाहमान है एवं सूरज की भाँति ओजस्वी है. पवित्र भारतभूमि में कई महापुरुषों ने जन्म लिया, शरीर तो क्षणभंगुर है परन्तु उनके विचार आज भी जीवित है. स्वामी विवेकानंद ऐसे ही महापुरुष हुए जिनके विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते है एवं युवाओं का दिशा-निर्देशन करते है|

स्वामी विवेकानंद जी का बोध वाक्य  “एक विचार लो| उस विचार को अपना जीवन बना लो- उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो , और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो| यही सफल होने का तरीका है|“ हमें अत्यधिक प्रेरित एवं उत्साहित करता है.

विचारों की शक्ति अपार है, अनंत है| व्यक्ति के जीवन में विचारों का संचार होता रहे तो जीवन सुखमयी हो जाता है| विचारहीन मनुष्य पशु समान है. हमारे मन-मस्तिष्क में कई विचार आते है, कई विचार से हमें प्रेरणा मिलती है, कई विचार हमें बताये जाते है तो कई हम पर थोपे भी जाते है| हमें सभी विचारों का अध्ययन करना चाहिए. जीवन में सफल होने के लिए स्वामी विवेकानंद के अनुसार एक विचार का चयन करना अत्यंत आवश्यक है| कई विचारों में से एक विचार का चयन- यह चयन चिंतन के साथ होना चाहिए| यह श्रेष्ठ विचार का अनुसरण ही आपको सफलता का परचम लहराने में मदद करेगा| यह विचार आपके जीवन की नींव की ईंट है|

जो विचार आपके दिल को स्पर्श कर जाए, मस्तिष्क को मान्य हो, जो विचार देश,समाज,परिवार के हित में हो उसे चुनिए| उस विचार को अपना आचार बना लीजिये एवं उसी विचार के निर्मित पथ पर चलिए| यह विचार ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ पर निर्भर होना चाहिए| जैसे महात्मा गाँधी ने अहिंसा का विचार लिया और उस पर अडिग रहे|

कहा जाता है कि दवा ज़ेब में नहीं शरीर में जाये तो असर करती है उसी प्रकार विचार दिमाग में ही नहीं आचरण में भी उतरे तो असर करते है | आधुनिक समय की गला-काट प्रतिस्पर्धा हर किसी को सफल नहीं होने देती. सफल वहीँ होता जिसे सफल होने के तरीकों की जानकारी हो. महापुरुषों के विचारों से हमें अन्तःस्फुरण प्राप्त करना चाहिए और सफलता का मंत्र ग्रहण करना चाहिए | इस शीघ्रगामी संसार में सफल होने का यही तरीका है कि :

विचार का करों तुम चयन ,

चयन के साथ हो चिंतन |

चिंतन के साथ हो मनन ,

मनन के साथ हो अनुकरण |

इस विचार के लिए दे दो तुम अपने प्राण ,

इस विचार से हो संपूर्ण मानव जाति का कल्याण |

जिनमें विवेक भी हो और आनंद भी हो उन्हें स्वामी विवेकानंद कहते है | जिस प्रकार स्वामी विवेकानंद ने युवा शक्ति को जागृत करने का संकल्प लिया और इस विचार पर अडिग रहे , उसी प्रकार आज की युवा पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेकर जीवन में एक विचार का चयन करना चाहिए एवं उसी पर जीवन रुपी रथ पर चलाना चाहिए | मस्तिष्क को उसी विचार के लय में विलीन होने देना चाहिए और मन को उसी विचार पर केन्द्रित करना चाहिए | कोई अन्य विचार का स्वागत नहीं करना चाहिए | स्वप्न शैली में भी उस विचार को अपनाना चाहिए और शारीरिक प्रणाली का उस विचार के साथ समन्वय बनाना चाहिए | स्वामी विवेकानंद के अनुसार यही सफल होने का तरीका है |

आदित्य त्रिवेदी

न्यूज़ एडिटर