देवास। शहर में अनियंत्रित गति से वाहन लगातार दौड़ते देखे जाते हैं, इन वाहनों में गति नियंत्रण होना या ना होना वो भी वाहन संचालकों पर निर्भर है। उल्लेखनीय है कि वाहनों की गति पर नियंत्रण करने के लिये कुछ दिनों पूर्व आरटीओ व यातायात पुलिस विभाग की संयुक्त रूप से कार्यवाही हुई थी। जिस पर स्कूल बसें, मैजिक वाहन एवं अन्य वाहनों में गति नियंत्रण यंत्र लगाये गए थे। उिसके बावजूद भी शहर में मानो वाहनों की स्पर्धा हो रही हो इस तरह से वाहन दौड़ते हैं। शहर में भारी वाहनों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध है, उसके बावजूद भी समय को साधकर भारी वाहन शहर में बेरोकटोक परिवहन कर रहे हैं, जिस पर यातायात पुलिस भी खुली आँखों से सबकुछ होता देख चुप्पी साधे हुए हैं।
शहरी क्षैत्र में रात 10 से सुबह 8 तक भारी वाहन निकलने का नियम यातायात पुलिस ने ही बनाया था। जिस पर अमल हो रहा है या नहीं ये वे खुद देखें। शहर में कभी-भी लंबी दूर की बड़ी यात्री बसों सहित भारी वाहन प्रवेश करते देखे जा सकते हैं। बड़ी बसें सवारी के लालच में शहर में बेधड़क प्रवेश कर रही है। इसी के तहत शनिवार को दोपहर 12 बजे स्थानीय सयाजी द्वार के सामने एक यात्री बस क्रमांक एमपी 32 पी 0142 ने ऑटो रिक्शा क्रमांक एमपी 41 आर 1748 के चालक को साइड से टक्कर मार दी। घटना के दौरान बड़ा हादसा होते होते टल गया। अगर जरा भी रिक्शा या बस चालक का संतुलन बिगड़ जाता तो बड़ी घटना होने से कोई टाल नहीं सकता था। यहां देखने वाली बात यह होगी कि बिना अनुमति के बड़े वाहन शहर में यातायात पुलिस की उपस्थिति में कैसे प्रवेश कर रहे हैं। जबकि इन्दौर रोड़ स्थित मधुमिलन चौराहे पर हमेशा पुलिस विभाग केे जवान मुस्तैद रहते है।
साँठ-गाँठ से तो नहीं
भारी वाहनों के प्रवेश पर नियमानुसार प्रतिबंध पूर्व से लगाया जा चुका है, किंतु शहर के कई बड़े व्यापारीयों के गोडाऊनों में माल का आवागमन बड़े वाहनों केे मार्फत होता है, जिसको लेकर ये व्यापारी कभी-भी बड़े वाहनों को कैसे बुला लेते हैं, ये सोचनीय है। वैसे माना जाये तो ये बड़े वाहनों का प्रवेश शहर के बाहर से होता है, इन वाहनों का प्रवेश शहर के भीतर पुलिस की जानकारी के बगैर नहीं होता, फिर इन बड़े वाहन के प्रवेश को लेकर यातायात पुलिस कार्रवाई करने में क्यों विचार कर रही है। ये सवाल अब भी बना हुआ है।