उज्जैन- लार्ड मैकाले की शिक्षा व्यवस्था के स्थान पर आधुनिक युगीन जरूरतों के हिसाब से प्राचीन गुरुकुल शिक्षण पद्धति को समाज स्वीकार करे,अपने बच्चों को गुरुकुल में पढ़ाने का मानस बनाए,तथा शिक्षा व्यवस्था समाजपोषित होकर शासन निरपेक्ष बने इसके लिए विराट गुरुकुल सम्मेलन में गहन विचार विमर्श किया जाएगा।
भारतीय विद्यालयीन शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के लिए काम कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा मध्यप्रदेश सरकार और महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान के सहयोग से उज्जैन में 28,28,30 अप्रैल को तीन दिवसीय विराट गुरुकुल सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
सम्मेलन के बारे में जानकारी देते हुए मध्यप्रदेश के संस्कृति सचिव मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि प्राचीन भारत मे शिक्षा मास(सभी) के लिए थी,अंग्रेजो ने आने के बाद इसे क्लास(खास) के लिए बना दिया।
लार्ड मैकाले ने बाबू निर्माण की शिक्षा पद्धति शुरू कराई और कौशल के स्थान पर किताबी ज्ञान पर जोर दिया जाने लगा।
श्री श्रीवास्तव ने कहा कि गुरुकुल सम्मेलन का उद्देश्य प्राचीन गुरुकुल शिक्षण पद्धति जिसे अब पश्चिम आधुनिक पद्धति कहने लगा है को युगानुकूल बनाकर प्रचलित करना है।
भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने बताया कि गुरुकुल सम्मेलन में गुरुकुल संचालक,आचार्य,व्यवस्थापक,संत समाज,शिक्षाविद,कुलपति, सामाजिक कार्यकर्ता एकत्रित होकर गुरुकुल परम्परा पर विचार विनिमय करेंगे।
कानिटकर ने बताया कि गुरुकुल शिक्षण पद्धति से संचालित गुरुकुलों के छात्र अपनी प्रस्तुतियां भी देंगे।
गुरुकुल सम्मेलन में नेपाल,भूटान,म्यामार सहित कई देशों के 2700 प्रतिभागी भाग लेंगे।
सम्मेलन के उदघाटन समारोह के संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत,मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहा,केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर भी शामिल होंगे।