वाशिंगटन: अमेरिका ने भारत को स्ट्रेटेजिक ट्रेड ऑथराइजेशन-1 (एसटीए-1) कंट्री का दर्जा दिया है. दोनों देशों के रिश्तों में एक नया मुकाम साबित हो सकता है. अमेरिका के इस कदम से अब भारत सस्ते दामों पर तकनीकि उत्पादों की खरीद कर सकेगा. भारत यह दर्जा पाने वाला दक्षिण एशिया में पहला देश है.
इसके पहले अमेरिका ने 2016 में भारत को मेजर डिफेंस पार्टनर का दर्जा दिया था, जो भारत को अमेरिका से अधिक एडवांस्ड और सेंसिटिव तकनीक खरीदने की इजाजत देता है और साथ ही भारत को अमेरिका के निकटतम देशों की सूची में भी शामिल करता है.
अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी विलबर रॉस ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका ने भारत को स्ट्रेटेजिक ट्रेड ऑथराइजेशन-1 का दर्जा देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि भारत से निर्यात संबंधों को लेकर यह कदम एक महत्वपूर्ण बदलाव है.
यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की तरफ से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रॉस ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत को एसटीए-1 का दर्जा देना यह दर्शाता है कि दोनों देशों के सुरक्षा और आर्थिक संबंध कितने गहरे है.
फिलहाल एसटीए-1 दर्जा पाने वाले कुल 36 देश हैं. जापान और दक्षिण कोरिया के बाद भारत एशिया का तीसरा देश है जो इस कतार में शामिल हुआ है. अभी तक भारत को एसटीए-2 का दर्जा प्राप्त था.
सेक्रेटरी रॉस ने कहा कि इस कदम के बाद भारत को उच्च तकनीकि और उत्पादों की आपूर्ति में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, इससे दोनों देशों के संबंध और अधिक प्रगाढ़ होंगे और भारत को कम समय में लाइसेंस मिल सकेगा.
अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के अनुसार जो देश एसटीए-1 की श्रेणी में शामिल हो जाते हैं वो नेशनल सिक्योरिटी, केमिकल या बायोलॉजिकल वेपन, न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन, रीजनल स्टेबिलिटी और क्राइम कंट्रोल से जुड़े उत्पाद और तकनीकि प्राप्त करने के हकदार बन जाते है.
एसटीए-1 का दर्जा पाने के बाद इस समय अमेरिका से भारत में निर्यात होने वाले 50 प्रतिशत वस्तुओं को अब किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे करीब 2.1 बिलियन डॉलर का निर्यात आसान हो जाएगा जिससे अमेरिकी निर्यातक वौश्विक स्तर पर अधिक मजबूत हो जाएंगे जबकि भारत को तकनीकि मिलने में आसानी होगी.
इंडिया यूएस बिज़नेस काउंसिल (यूआईबीसी) के बेन स्क्वार्त्ज़ कहते हैं, ”ये एक महत्वपूर्ण कदम है. इस कदम से यह साबित होता है कि अमेरिकी सरकार अब भारत सरकार पर अभूतपूर्व भरोसा करने लगी है.”
उन्होंने कहा, ”जब से भारत को मेजर डिफेंस पार्टनर का दर्जा मिला था तब से ही अमेरिकी सरकार भारत सरकार और यूआईबीसी से यह चर्चा कर रही थी कि हम कैसे दोनों देशों के सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को और अधिक मजबूत कर सकते हैं.”
बेन ने कहा कि इस फैसले के बाद भारत का एनएसजी में शामिल होने का दावा और अधिक मजबूत हो जाएगा. उन्होंने कहा कि भले ही एनएसजी में शामिल होना अकेले भारत के बस में नहीं है लेकिन भारत के नेक इरादों को बाकी देशों को भी समझने की जरूरत है.