होम

गंगा में उफान से काशी के महाश्मशान पर शवों की कतार, बढ़ रहा इंतजार

वाराणसी [विकास बागी]। हिंदू धर्म में तीर्थ का स्थान रखने वाले काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट के मुख्य प्लेटफार्म पर गंगा की बाढ़ के चलते सोमवार से घुड़दौल की छत पर बने चिमनी वाले दाह संस्कार प्लेटफार्म पर शवों का अंतिम संस्कार शुरू हो गया। प्लानर इंडिया की ओर से कार्य में देरी के चलते घुड़दौल की छत पर अब तक महज छह प्लेटफार्म ही तैयार हैं जिसके चलते एक बार में सिर्फ छह शवों का दाह संस्कार हो रहा है जबकि व्यवस्था दस शवों को एक साथ जलाने की थी।

बाढ़ के चलते हालात इस कदर बिगड़े हैं कि चिता को आग देने के लिए तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है जिसके चलते दाह संस्कार में आए लोग आक्रोशित हो जा रहे हैं। बता दें कि एक शव को जलने में ढाई से तीन घंटे तक लगते हैं। कुछ लोगों ने घुड़दौल की छत से हटकर अन्यत्र दाह संस्कार (जहां बाढ़ आने पर करते थे) की कोशिश की तो प्लानर इंडिया से जुड़े लोग उलझ पड़े और धमकी दी कि ऐसा किया तो फोटो खींचकर डीएम को भेज देंगे कार्रवाई के लिए।

प्रतिदिन सज रहीं 70 से 80 चिताएं – अपनों को मोक्ष दिलाने की चाह में काशी समेत पूर्वाचल से लेकर बिहार तक के लोग दाह संस्कार के लिए महाश्मशान मणिकर्णिका घाट आते हैं। वर्तमान में औसतन प्रतिदिन 70 से 80 शव दाह संस्कार के लिए आ रहे हैं। कभी-कभी एक साथ दस से बारह शव आ जा रहे हैं लेकिन चितास्थल नहीं मिलने के कारण दो से तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा।

सात करोड़ से बदली जा रही महाश्मशान की सूरत – सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसबल) फंड से महाश्मशान मणिकार्णिका घाट की सूरत बदलने की तैयारी बीते एक साल से चल रही है। रुपा फाउंडेशन की ओर से सात करोड़ रुपये दिए गए हैं और कायाकल्प की जिम्मेदारी प्लानर इंडिया को सौंपी गई है। बाढ़ आने के बाद प्लानर इंडिया ने घुड़दौल में चिमनी वाले प्लेटफार्म पर दाह संस्कार की इजाजत दी। फिलहाल प्लानर इंडिया को चिमनी वाले 16 प्लेटफार्म तैयार करने हैं।

2012 की गर्मी और 2013 की बाढ़ में भी ऐसे बने थे हालात – वर्ष 2012 की भीषण गर्मी और साल 2013 में आई बाढ़ के चलते भी ऐसे ही हालात बने थे। शवों की कतार गलियों में लगी थी, हालात इस कदर बिगड़े थे कि शवों को तीन से चार घंटे तक चिता पर आने के लिए इंतजार करना पड़ा था। मणिकर्णिका घाट की ओर जाने वाली गलियों में भी दाह संस्कार होने लगे थे।