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ये है देश की सबसे कम उम्र की ताइक्वॉन्डो ब्लैक बेल्ट, पढ़ने में भी अव्वल

जयपुर। पांच साल की उम्र में जहां लड़कियां गुड्डे-गुड़ियों से खेलती हैं, वहीं दिव्यांशा मीरचंदानी एक दिन में चार घंटे ताइक्वॉन्डो की ट्रेनिंग लेती है। दिव्यांशा की इस लगन ने उसे ताइक्वॉन्डो में देश की सबसे कम उम्र की ब्लैक बेल्ड अवॉर्डी बना दिया है। जयपुर की रहने वाली दिव्यांशा जब तीन साल की थी तब से ताइक्वॉन्डो की ट्रेनिंग ले रही है। उसने कई स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल मेडल्स जीते हैं। इतनी कम उम्र में अपने डेडिकेशन से ही उसने ब्लैक बेल्ट पा लिया है और अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज करा दिया है।

दिव्यांशा की चाची निकिता मीरचंदानी ने कहा कि वह हमेशा एक्शन मूवीज में रूचि रखती थी। वे कहती हैं, ‘वह अपनी उम्र की लड़कियों से अलग है। उसे बाल बढ़ाना पसंद नहीं, लड़कियों की तरह सजना-संवरना अच्छा नहीं लगता। वह टॉमबॉय है। हम उसकी इस उपलब्धि पर गर्व करते हैं। उसके डिडेकेशन के कारण ही उसने यह पाया है।’

ऐसा नहीं है कि खेल में उसकी रूचि के कारण उसका एकेडेमिक परफॉर्मेंस प्रभावित हुआ हो। वह एक ब्रिलियंट स्टूडेंट है लेकिन खेल में मेडल्स जीतने में व्यस्त है। वह स्कूल में फर्स्ट आई थी औप उसने ब्रिटिश काउंसिल द्वारा आयोजिच इंग्लिश ओलंपियाड में गोल्ड मेडल भी जीता था। ओलंपियाड में दुनियाभर के 1400 शहरों के लगभग 42,800 स्कूल्स ने हिस्सा लिया था। ओलंपियाड में प्रतिभागियों को किसी भी स्तर पर कठिन प्रश्नों के उत्तर देने थे और हजारों बच्चे दिव्यांशा से बड़े थे लेकिन उसके बावजूद वह फर्स्ट आया था।

स्टडीज और स्पोर्ट्स के बीच संतुलन आसान नहीं है लेकिन वह इसे आसानी से हैंडल कर लेती है। भविष्य की योजनाओं के बारे में दिव्यांशा का कहना है कि वह लॉ पढ़कर जज बनना चाहती है। वह कहती है, ‘मैं हमेशा जज बनने की इच्छा रखती हूं और देश की सेवा करना चाहती हूं लेकिन मुझे अभी भी पता नहीं है कि स्पोर्ट्स और एजुकेशन में से क्या चुनूंगी।’