पहले कलेक्टर कार्यालय फिर उद्यानिकी विभाग पंहुचें किसान
प्याज भंडारण आश्रय पत्र को लेकर घेराव किया उद्यानिकी विभाग का
देवास। प्रदेश सरकार एक और किसान हित की बात करते हुए उनके लिये कई प्रकार के लाभ की बात करती है, पिछले दिनों प्याज भंडारण को लेकर प्रदेश मुखिया ने मंच से बड़ी घोषणाऐं करे हुए कई प्रकार की बातें कही थी। इसी के चलते देवास जिले के मौजूद किसानों ने माल भंडारण हेतु आनलाईन आवेदन किये थे। जिसमें अब तक कई किसानों को भंडारण के लिये ना तो भूमि का आवंटन मिला ना ही भंडारण बनाने के लिये राशि की व्यवसथा शासन की और से मिली। किसानों का मानना है की प्रदेश मुखिया के द्वारा भंडारण हेतु बात कही गई लेकिन यहां पर मौजूद अधिकारीयों की मनमानी से शासन की योजना का उचित लाभ नहीं मिल रहा है। इस प्रकार की शिकायत कलेक्टर को की गई। जिस पर कलेक्टर ने सिर्फ आश्वासन देकर किसानों को लाभ दिये जाने की बात कही है।
एक और प्रदेश मुखिया शिवराजसिंह चौहान किसान हित की बात करते हुए किसानों के लिये कई प्रकार के लाभ से परिपूर्ण योजनाओं को सामने रखते हैं किसान भी इसी लाभ की आशा में मुख्यमंत्री के लाभ पर कार्य करने को तत्पर हो जाते हैं किंतु किसानों को दिये जाने वाला लाभ अधिकारी किसानों तक नहीं पंहुचने देते, इस प्रकार के आरोप किसान सुधीर जोशी ने बताया की मुख्यमंत्री की भंडारण योजना में हमारे द्वारा गत वर्ष आनलाईन आवेदन किये गये थे किंतु ना तो हमें शासन की योजना का लाभ मिला ना ही किसी प्रकार की कोई मदद मिली है।
पहले कलेक्टर कार्यालय फिर उद्यानिकी विभाग
किसान पहले कलेक्टर कार्यालय पंहुचे जहां कलेक्टर पांडे ने किसानों से उनकी परेशानी सुनकर आवेदन लिया व आश्वस्त किा की वे इस मामले को लेकर अन्य विभागीय अधिकारीयों से चर्चा करेंगे। इसकेे बाद किसान उद्यानिकी विभाग गये जहां विभागीय महिला अधिकारी प्रतिभा कुश्वाह ने अधिक्षक से फोन पर चर्चा करवाकर कम्प्यूटर पर पंजीयन दिखवाया गया जिस पर किसानों ने अधिनस्थ अधिकारी को ज्ञापन दिया।
योजना में मिलती सब्सिडी
किसानों ने बताया की भंडारण योजना के अंर्तगत कुल लागत 3 लाख 74 हजार 920 रूपये आती है, जिसकी लंबाई चौडाई 24 बाय 18 की साइज में बनाया जाता है। जिसमें सरकार के द्वारा 1 लाख 75 हजार रूपये सब्सिडी बतौर अनुदान दिया जाता है। लेकिन जिले में करीब 1700 से 1800 किसानों ने आनलाईन आवेदन दिये थे। लेकिन किसानों की दुर्दशा ऐसी है की यहां केवल 30-35 किसानों को ही बड़ी मुश्किल से योजना का लाभ मिला है।
इनका कहना : –
पहले किसन का पंजीयन पोर्टल पर कभी भी हो जाता था लेकिन अब लक्ष्य के अनुसार और सारे आवेदन निरस्त कर दिये जिसके चलते इनके पंजीयन निरस्त हो चुके है। अब जब भी टारगेट आयेगा उस समय इनको पंजीयन योजना के लिए करना पड़ेगा। साथ ही भुगतान भी पोर्टल से किया जाता है। सारे काम नियानुसार ही किये जाते है।
उपसचालक उद्यान
नीरज अमृत सावलिया