शाजापुर। इंदौर के हरसोला और धार जिले के डेहरी में कैंसर के मरीज हाल में सामने आए हैं किंतु जिले के शुजालपुर क्षेत्र के ग्राम अमलाय पत्थर गांव में छह साल पहले 2012 में ही कैंसर के मरीज सामने आ गए थे। गांव में 15 साल में 31 जान जा चुकी है।
इसमें से बीते छह माह में चार लोगों की मौत हुई है। मगर कैंसर के पनपने के कारणों का पता सरकार नहीं लगा सकी है। उस समय एक दिवसीय शिविर लगाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को उनके हाल पर छोड़ दिया।
यदा-कदा औपचारिकता के लिए सर्वे और स्वास्थ्य परीक्षण जरूर हुआ किंतु प्रभावी शिविर या विशेषज्ञों द्वारा इलाज, जांच-पड़ताल का अभाव रहा। वर्तमान में भी सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं दिख रही। जानलेवा कैंसर के कारणों को जानने के लिए कोई भी प्रयास फिलहाल होते नहीं दिख रहे हैं।
शिक्षक किशोर सिंह सिसौदिया बताते हैं कि 2010 में उनके पिता रामबक्श सिंह की गले में कैंसर होने से मौत हुई थी। वर्ष 2009 में इंदौर के निजी अस्पताल में ऑपरेशन भी कराया किंतु इसके एक साल बाद ही उनकी मौत हो गई। किशोर सिंह बीमारी के पीछे गांव के पेयजल को कारण होने की आशंका जाहिर करते हैं।
वाहन से उतरकर भाग गए थे मरीज
वर्ष 2012 में गांव में बड़ी संख्या में लोगों को कैंसर होने की शिकायत सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने यहां एक दिवसीय शिविर लगाया किंतु जागरूकता के अभाव में लोगों ने रुचि नहीं ली। स्थिति यह रही कि मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए वाहन में बैठाया गया तो वे वाहन से उतरकर भाग गए। इसके बाद गांव में सर्वे और परीक्षण आदि हुए किंतु विशेषज्ञों की उपलब्धता या बीमारी के कारणों को जानने के लिए प्रभावी रिसर्च नहीं हो सकी।
इन कैटेगरी के मरीज आए सामने
ब्लड कैंसर, ट्यूमर कैंसर, ओरल कैंसर, आंख में कैंसर, आंत में कैंसर, गले में कैंसर, बच्चेदानी में कैंसर, लीवर कैंसर, अमाशय कैंसर।
क्षेत्रीय संचालक को रिपोर्ट भेजी
अमलाय पत्थर में कैंसर के कारणों का पता लगाने के लिए विस्तृत रिसर्च की आवश्यकता है। इसे लेकर जवाहर नेहरू कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर भोपाल के विशेषज्ञ से बात की थी। उन्होंने विस्तृत रिसर्च की जरूरत बताई है। इसे लेकर रिपोर्ट क्षेत्रीय संचालक को भेजी है। वहां से शासन को भेजी गई है। परेशानी यह है गांव के लोग इलाज में रुचि नहीं लेते हैं।