न्यूयॉर्क। स्मार्टफोन और अन्य डिजिटल डिवाइस का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोग सावधान हो जाएं। एक अध्ययन में आगाह किया गया है कि इनसे निकलने वाली नीली रोशनी आंखों के लिए नुकसानदेह हो सकती है। इससे दृष्टिहीनता का खतरा बढ़ सकता है। इस रोशनी से रेटिना के अहम मोलेक्यूल सेल किलर बन सकते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार, मैक्युलर डीजनरेशन आंखों की लाइलाज बीमारी है। 50 से 60 साल की उम्र के लोगों में इसके चलते नजरें कमजोर पड़ने लगती हैं। इस बीमारी के चलते रेटिना में फोटोरिसेप्टर सेल्स खत्म होने लगती हैं। ये सेल्स रोशनी को सिग्नल में बदलने का काम करती हैं। इसके लिए इन्हें रेटिनल नामक मोलेक्यूल की जरूरत पड़ती है।
अमेरिका की टोलेडो यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अजीत करुणारत्ने ने कहा, “यह कोई राज नहीं है कि नीली रोशनी रेटिना को क्षतिग्रस्त करने के साथ हमारी नजरों को नुकसान पहुंचाती है। हमारे परीक्षणों से यह बताया गया है कि यह कैसे होता है। हमें उम्मीद है कि मैक्युलर डीजनरेशन को रोकने के लिए नए प्रकार का आई ड्राप विकसित हो सकता है।”