वाशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूर्य के बेहद पास पहुंचने के लिए अपना बहुप्रतिक्षित अंतरिक्षयान लॉन्च कर दिया है। नासा का यह पार्कर सोलर प्रोब एक रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट है जो अब तब भेजे गए यानों की तुलना में सूर्य के सबसे करीब जाएगा। यह अंतरिक्षयान सूर्य के सबसे बाहरी भाग कोरोना के वातावरण का अध्ययन करेगा। सूर्य के इसी भाग से सौर वायु (सोलर विंड) की उत्पत्ति होती है। इसे नासा ने फ्लोरिडा प्रांत के केप कैनावेरल से लांंच चकिया।
इस मिशन को जोखिम भरा माना जा रहा है क्योंकि सूर्य की सतह से भी ज्यादा इस भाग का तापमान होता है। सूर्य का तापमान करीब छह हजार डिग्री सेल्सियस है। यह अंतरिक्षयान दूसरे यानों की तुलना में सूर्य के सात गुना ज्यादा करीब जाएगा। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट वैज्ञानिक निकोल फॉक्स ने पत्रकारों से कहा, ‘प्रोब को इस तरह की कठोर परिस्थितियों में भेजने की उच्च महत्वाकांक्षा है।’
#WATCH: NASA (National Aeronautics and Space Administration) launches #ParkerSolarProbe – its mission to send a satellite closer to the Sun – from Cape Canaveral, Florida in the US. (Source: NASA) pic.twitter.com/xjIBdZDC1Q
— ANI (@ANI) August 12, 2018
सूर्य के करीब गया था हेलिअस-2
जर्मनी की अंतरिक्ष एजेंसी और नासा ने मिलकर साल 1976 में सूर्य के सबसे करीब हेलिअस-2 नामक प्रोब भेजा था। यह प्रोब सूर्य से 4.30 करोड़ किमी की दूरी पर था। धरती से सूर्य की औसत दूरी 15 करोड़ किमी है।
अंतरिक्ष के वातावरण की हो सकेगी भविष्यवाणी
नासा को उम्मीद है कि इस प्रोब से वैज्ञानिक धरती के वातावरण में होने वाले बदलावों की भविष्यवाणी करने में सक्षम हो सकेंगे। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के सौर वैज्ञानिक एलेक्स यंग ने कहा, ‘अंतरिक्ष के वातावरण का अनुमान लगाना हमारे लिए बुनियादी रूप से अहम है। अंतरिक्ष में बहुत खराब मौसम होने से धरती पर हमारे पॉवर ग्रिड पर असर पड़ सकता है।’
पूर्ण सूर्य ग्रहण में दिखता है कोरोना
कोरोना को पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान देखा जा सकता है। इस दौरान यह बेहद चमकीला होता है। सूर्य के इसी हिस्से से सौर वायु की उत्पत्ति होती है जो सौर प्रणाली में प्रवाहित होती रहती है। अप्रत्याशित सौर वायु हमारी धरती के चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी का कारण बनता है। इससे धरती पर संचार प्राद्योगिकी तहस-नहस तक हो सकती है।
पार्कर सोलर प्रोब की खासियतें
-अंतरिक्षयान का आकार एक छोटी कार जितना बराबर है
-इस मिशन की लागत 150 करोड़ डॉलर (करीब दस हजार करोड़ रुपये) है
-प्रोब को उच्च तापमान और रेडिएशन से बचाने के लिए उष्मा कवच से लैस किया गया है
-यह प्रोब सूर्य की सतह से 60.10 लाख किमी दूर कोरोना में करीब सात साल परिक्रमा करेगा
-खास उपकरणों से लैस प्रोब सोलर विंड की तस्वीर लेगा
-इलेक्ट्रिक और चुंबकीय क्षेत्र, कोरोना प्लाज्मा और कणों का अध्ययन भी करेगा
-नासा का मकसद उच्च चुंबकीय कोरोना की आंतरिक प्रतिक्रियाओं के बारे में डाटा जुटाने का है।